115+ भगवान गौतम बुद्ध के अनमोल वचन(Gautam Buddha Anmol Vachan)
Gautam Buddha Anmol Vachan- बुद्ध कोई नाम नहीं है, बल्कि उपाधि है, यह एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ” एक व्यक्ति जो पूर्णतः सचेत है “
गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) बचपन से गंभीर और शांत स्वभाव के बालक थे | बचपन से ही उनको घर और परिवार में मन नहीं लगता था | वह शाक्य नरेश शुद्धोधन के सुपुत्र और एक राजकुमार थे | इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम था | राजकुमार सिद्धार्थ ने आध्यात्मिक तपस्वी के रूप में ज्ञान प्राप्त करने के लिए अपने पद, संपत्ति और संसार को त्याग कर आध्यात्मिक प्राप्ति के लिए वन में चले गए. | कई वर्षों की कठोर साधना के बाद वह बोधि वृक्ष के नीचे आत्मज्ञान प्राप्त किया और वे सिद्धार्थ से बुद्ध बन गए | अपना मार्ग बताने के लिए 2600 साल पहले 6 ठी से 5 वीं शताब्दि में भारत में बौद्ध धर्म की स्थापना की.| हमारे वेबसाइट में महात्मा गौतम बुद्ध द्वारा बताए गए अनमोल वचन आसान भाषा में उपलब्ध है |
हमारी जीभ एक ऐसा तीखा हथियार है | जो बिना खून निकाले मार देती है।
पाप तब तक मीठा लगता है जब तक वह पक न जाए;
लेकिन जब यह पकने लगता है तो बहुत दुख देता है |
मन की अवस्था सभी मानसिक अवस्थाओं से ऊपर है।
हजारो लड़ाईयां जितने अच्छा आप अपने ऊपर विजय प्राप्त करो।
फिर हमेशा जीत आपकी ही होगी।
जो व्यक्ति खुद के क्रोध पर काबू पा लेता है।
वह उस कुशल गाड़ीवान के समान है
जो विषम परिस्थिति में भी अपने गाडी को संभाल सकता है।
आपको क्रोध की सजा नहीं मिलती है।
बल्कि आपको क्रोध से सजा मिलती है।
हजारों लड़ाइयां जीतने के बजाय खुद पर विजय प्राप्त करना बेहतर है.
फिर जीत आपकी ही है, और इसे आपसे कोई नहीं छीन सकता है.
मैं कभी यह नहीं देखता कि क्या किया गया है;
मैं केवल यह देखता हूं कि क्या किया जाना बाकी है.
कुछ लोगों ने अपने लाभ के लिए काल्पनिक
ईश्वरों की रचना की है और विधर्म की रचना की है।
जिसे झूठ बोलने में शर्म नहीं आती, उसका संतत्व खाली घड़े के समान होता है।
उनके हृदय में साधु की एक बूँद भी नहीं है।
एक अच्छा शब्द उन हजारों खाली शब्दों से अधिक मूल्यवान है जो शांति लाएंगे।
आप केवल वही खो देते है जिससे आप लगाव बनाये रखते है.
संतोष सबसे बड़ा धन है, वफादारी सबसे बड़ा
रिश्ता है और स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है।
पानी से यह सीखो- तेज लहरें झाड़ियों को तितर-बितर कर सकती हैं,
लेकिन सागर की गहराइयां शांत होती हैं। इसलिए शांत रहना सीखें।
केवल एक दयालु व्यक्ति ही भय से भरे इस संसार में निडर होकर जी सकता है।
ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए और किसी के धर्म से घृणा नहीं करनी चाहिए।
हमेशा वही बोलें जो आपको सही लगे और किसी बात पर गुस्सा न करें।
हमेशा अच्छा सोचो। दूसरों के प्रति दयालु रहें।
उनके बारे में अच्छी बातें करें। इन सबका परिणाम तुम हो
मैं उसे सच्चा सारथी कहता हूँ जो वेगवान रथ की तरह
अपने हृदय में उठने वाले क्रोध को तुरंत वश में कर लेता है।
जिसके हाथ में बागडोर रहती है वही समाज में जाता है।
जो अपना तथा दूसरों का कल्याण करने का प्रयत्न करता है,
उसे ही श्रेष्ठ पुरुष मानना चाहिए।
हजारो लड़ाईयां जितने अच्छा आप अपने ऊपर विजय प्राप्त करो।
फिर हमेशा जीत आपकी ही होगी।
जो व्यक्ति खुद के क्रोध पर काबू पा लेता है। वह उस कुशल गाड़ीवान के
समान है जो विषम परिस्थिति में भी अपने गाडी को संभाल सकता है।
शुद्ध निस्वार्थ जीवन जीने के लिए, किसी व्यक्ति को यह विश्वास
करना चाहिए कि विपुलता में कुछ भी उसका अपना नहीं है.
यदि आप खुशियां बांटते हो तो वह कभी कम नहीं होगी।
एक झरना बहुत शोर करता है
लेकिन एक सागर कितना गहरा और शांत होता है।
आपके अन्दर क्रोध एक ऐसी चीज है
जो दूसरों का नुकसान करे या ना करें,
आपका खुद का नुकसान तो कर ही देती है।
यदि आप कहीं पर पहुंचना चाहते हैं
तो आपको पहले ठीक से यात्रा करनी पड़ेगी।
एक ख़ुशी भरी जिन्दगी जीना है
तो अभी वर्त्तमान में जीयो।
जैसे ही हम किसी विवाद में क्रोधित होते हैं,
हम सच्चाई का मार्ग छोड़ देते हैं,
और अपने लिए प्रयास करना शुरू कर देते हैं.
जिस प्रकार एक मोमबत्ती से हजारों मोमबत्तियां जलाई जा सकती हैं,
और मोमबत्ती का अस्तित्व खत्म नहीं हो जाता.
वैसे ही खुशी साझा करने से कभी भी कम नहीं होती है.
जीवन की यात्रा पर विश्वास पोषण है, पुण्य कार्य एक आश्रय स्थान हैं,
ज्ञान दिन में प्रकाश है और रात में सचेत सुरक्षा है.
यदि मनुष्य शुद्ध जीवन जीता है, तो कुछ भी उसे नष्ट नहीं कर सकता है.
जिस व्यक्ति को दूसरों से इर्ष्या करने में आनंद आता हो,
उसे कभी शांति नहीं मिल सकती।
जो समय आपका बीत गया, कभी वापस नहीं आता।
जो व्यक्ति जग रहा है उसके लिए रात लम्बी है, जो थका है,
उसके लिए दूरी लम्बी है और जो मुर्ख अपना सच्चा धर्म नहीं जानता ,
उसके लिए जीवन बहुत लम्बा है।
अगर कुछ भी करने लायक है, तो उसे पूरे मन से करें.
ज्ञानी व्यक्ति की कभी भी मृत्यु नहीं होती है,
वे अपने ज्ञान का प्रकाश हमेशा बिखेरते रहते है।
जबकि मुर्ख और अज्ञानी व्यक्ति पहले से ही अपने विचारों से मरे होते है।
एक पल एक दिन को बदल सकता है,
एक दिन एक जीवन को बदल सकता है
और एक जीवन इस दुनिया को बदल सकता है।
आकाश में पूर्व और पश्चिम का कोई भेद नहीं है।
लोग अपने विचारों से भेद पैदा करते हैं।
और फिर उनके सही होने पर यकीन कर लेते हैं।
खुशी उन तक कभी नहीं आएगी ,
जो उसकी सराहना नहीं करते जो उनके पास पहले से मौजूद है।
जैसे ठोस चट्टान हवा से नहीं हिलती।
उसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति प्रशंसा या
आरोपों से विचलित नहीं होता है।
एक क्षण एक दिन को बदल सकता है।
एक दिन एक जीवन को बदल सकता है।
और एक जीवन पूरे विश्व को बदल सकता है।
यदि समस्या का समाधान किया जा सकता है तो चिंता क्यों करें।
यदि समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता है तो चिंता
करना आपको कोई फायदा नहीं पहुंचाएगा।
अगर आप किसी और के लिए दीपक जलाएंगे तो ,
वह आपका भी मार्ग प्रकाशित करेगा।
जीवन में एकमात्र वास्तविक असफलता
आप जो सर्वश्रेष्ठ जानते हैं , उसके प्रति सच्चे ना होना है।
आप चाहे जितने पवित्र शब्द पढ़ लें , चाहे जितना बोल लो।
वो आपका क्या भला करेंगे , यदि आप उन पर कार्य नहीं करते हैं।
कष्ट की जड़ आसक्ति है।
अपना हृदय अच्छी चीजों में लगाओ।
इसे बार-बार करो और तुम प्रसन्नता से भर जाओगे।
जिस दिन आप सारी सहायता अस्वीकार कर देते हैं , आप मुक्त हो जाते हैं।
जो क्रोधित विचारों से मुक्त हैं , उन्हें निश्चय ही शांति प्राप्त होगी।
यदि आप पर्याप्त शांत है , तो आपको ब्रह्मांड का प्रवाह सुनाई देगा।
आप उसकी ताल महसूस कर पाएंगे।
इस प्रवाह के साथ आगे बढ़िए। आगे प्रसन्नता है और ध्यान महत्वपूर्ण है।
तुम्हारा सबसे बड़ा शत्रु तुम्हें उतना नुकसान नहीं पहुंचा सकता ,
जितना कि तुम्हारे खुद के बेपरवाह विचार।
लेकिन एक बार इन्हें काबू कर लिया जाए तो ,
फिर कोई तुम्हारी इतनी मदद भी नहीं कर सकता
जितना तुम खुद अपनी कर सकते हो ।
यहां तक कि तुम्हारे माता-पिता भी नहीं।
तुम्हारा शरीर कीमती है। यह हमारे जागृति का साधन है। इसका ध्यान रखो।
क्रोध को पाले रखना। खुद जहर पीकर दूसरों के मरने की अपेक्षा करने के समान है।
भूतकाल पहले ही बीत चुका है।
भविष्य अभी तक आया नहीं है।
तुम्हारे जीने के लिए बस एक ही क्षण है।
यदि आप दिशा नहीं बदलते हैं तो संभवतः
आप वही पहुंच जाएंगे , जहां आप जा रहे हैं।
सभी प्राणियों के लिए दया भाव रखें। चाहे वह अमीर हो या गरीब।
सबकी अपनी अपनी पीड़ा है। कुछ बहुत अधिक भुगतते हैं और कुछ बहुत कम।
अतीत के विचारों में समय बर्बाद मत करों,
भविष्य के सपने मत देखो, वर्तमान क्षण पर मन को एकाग्र करो.
सभी प्राणियों के लिए दयाभाव रखें, अमीर और गरीब सब एक जैसे है;
प्रत्येक की अपनी पीड़ा है, कुछ बहुत अधिक पीड़ित हैं, तो कुछ बहुत कम.
एक विचार जिसे अस्तित्व में लाया जा चुका है
और उसे अमल में लाया जाता है,
वह उस विचार से कई अधिक महत्वपूर्ण है जो
केवल एक विचार के रूप में मौजूद है.
लोगों से बोलते समय हम जो भी शब्द उपयोग में लाते है
उसे ध्यान से चुना जाना चाहिए क्योंकि लोग
उन्हें सुनेंगे और भले या बुरे के लिए उनसे प्रभावित होंगे.
यदि आप सही दिशा में चलते हुए
कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं,
तो आपको बस इतना करना है कि
आपको चलते रहना है.
एक छोटी सी मोमबत्ती की रोशनी को बुझाने के लिए
सारी दुनिया में पर्याप्त अंधेरा नहीं है.
एक पल एक दिन बदल सकता है, एक दिन संपूर्ण जीवन को बदल सकता है
और एक जीवन पूरी दुनिया को बदल सकता है.|
क्रोध को पाले रखना किसी गर्म कोयले को किसी और पर
फेंकने के इरादे से पकड़े रखने की तरह है; इसमें आप स्वयं ही जलते हैं.|
कुछ भी स्थायी नहीं है.|
हर सुबह हम फिर से पैदा होते हैं.
आज हम जो करते हैं वह सबसे ज्यादा मायने रखता है.
गलतियों को याद करना मन पर बोझ ढोने जैसा है.|
क्योंकि एक कुत्ता अच्छा भौकता है
इसलिए उसे एक अच्छा कुत्ता नहीं माना जाता है.
एक व्यक्ति जो अच्छी बातें करता है
इसलिए उसे एक अच्छा आदमी नहीं माना जाता है.
दर्द निश्चित है, पीड़ा वैकल्पिक है.
इंसानियत का दूसरा नाम प्यार है।
जानवरों से दिल से प्यार करना ही सच्ची इंसानियत है
समस्या यह है कि तुम्हें लगता है तुम्हारे पास पर्याप्त समय है.
आपका कर्म अपने कार्य की खोज करना है और फिर
अपने आप को दिल से अपने कार्य के प्रति समर्पित कर देना है.
आपने कह़ी पढ़ा हैं, या यह किसने आपसे कहा है,
या फिर स्वयं मैंने इसे कहा है, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता;
किसी भी बात पर तब तक विश्वास मत करो
जब तक कि आप स्वयं अपने अनुभव और
आपके स्वयं के ज्ञान से सहमत न हो.
जिव्हा किसी तेज चाकू की तरह होती है जो बिना खून बहाए ही मार देती है.
इस तीन सत्य को सभी को सिखाएं: एक उदार हृदय,
दयालु भाषण, और सेवा और करुणा का जीवन ऐसी
चीजें हैं जो मानवता को नई संजीवनी प्रदान करती हैं.
प्रत्येक मनुष्य स्वयं अपने स्वास्थ्य या बीमारी का रचयिता है.
झूठ बोलने से बचना वास्तव में यथोचित है.
बुरे कर्मों से बचें, जो जीवन से प्रेम करता है वह विष से दुरी बनाता है.
क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की
नीयत से पकड़े रहने के सामान है, इसमें आप ही जलते हैं।
एक जलते हुए दीपक से हजारों दीपको को जला सकते हो।
फिर भी दीपक की रोशनी काम नहीं होती।
उसी तरह खुशियां बांटने से बढती है कम नहीं होती।
सदैव क्रोध करना यानि खुद जहर पीने और
दूसरे व्यक्ति के मरने की उम्मीद करने जैसा है.
सृष्टि के आदि और अंत को लेकर भ्रमित न हों।
दूसरों के दुख में शरीक होना ही असली शिक्षा है।
दुश्मनी को प्यार से जीतना चाहिए।
शरीर धर्म सभी के लिए समान है इसलिए
वर्ण श्रेष्ठता बकवास है, सभी लोग समान हैं।
भगवान और भक्त के बीच किसी मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं है।
पशु बलि अंध विश्वास है।
जो मुर्ख होता है वो ज्ञानी से कुछ नहीं सिख पाता
लेकिन ज्ञानी मुर्ख से बहुत कुछ सीख जाता है।
सत्य का पालन ही धर्म है, बाकी सब अधर्म है।
पैर को केवल तभी पैर महसूस किया
जाता है जब वह जमीन को छूता है.
सच्चा प्यार समझ से पैदा होता है.
बूंद-बूंद से घड़ा भरता है.
क्रोध को प्यार से, बुराई को अच्छाई से, स्वार्थी को उदारता से
और झूठे व्यक्ति को सच्चाई से जीता जा सकता है।
तुम्हे तुम्हारे गुस्से के लिए दण्ड नहीं दिया जाएगा।
तुम्हे तुम्हारे गुस्से द्वारा दण्ड दिया जाएगा।
आप स्वयं अपने प्यार और स्नेह के लायक हैं.
हमेसा सोच समझकर ही दुसरों पर भरोसा करें।
जो व्यक्ति अपना जीवन को समझदारी से जीता है
उसे मृत्यु से भी डर नहीं लगता।
घृणा को कभी भी घृणा से नहीं मिटाया जा सकता है.
प्रेम से ही घृणा समाप्त हो जाती है. यह एक अटल सत्य है.
वह जो लोगों से प्यार करता है उसके पास दुःख के कारण होते हैं;
वह जो किसी से प्यार नहीं करता है उसके पास दुःख का कोई भी कारण नहीं होता है.
आकाश में पूर्व और पश्चिम का कोई भेद नहीं है,
लोग अपने मन में भेदभाव को जन्म देते हैं
और फिर मानते हैं कि यही सच है.
स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतुष्टि सबसे बड़ा धन है, विश्वास सबसे बड़ा रिश्ता है.
खुशी साझा करने से कभी भी कम नहीं होती है.
सुख का अर्थ, बहुत कुछ पाना नहीं है. सुख का अर्थ है, बहुत कुछ दान करना है.
जो बीत गया उसमें नहीं उलझना चाहिए और ना ही
भविष्य को लेकर ज्यादा चिंतित रहना चाहिए,
बल्कि हमें वर्तमान में ही जीना चाहिए.
यही खुशी से जीने का रास्ता है.
आप चाहें जितनी किताबें पढ़ लें, कितने भी अच्छे प्रवचन सुन लें,
उनका कोई फायदा नहीं होगा, जब तक कि आप उनको अपने जीवन में नहीं अपनाते.
किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं,
हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं
आप अपने क्रोध के लिए दंडित नहीं किए जाएंगे,
लेकिन आप अपने क्रोध से दंड पाओगे.
कोई भी व्यक्ति दूसरे को पवित्र नहीं कर सकता,
पवित्रता और अपवित्रता खुद पर निर्भर करती है।