श्री देवकीनंदन ठाकुर की जीवनी

देवकीनंदन ठाकुर महाराज एक हिंदू पुराण कथावाचक, गायक और आध्यात्मिक गुरु हैं। आपने इनको YouTube तथा टीवी डिबेट में देखा होगा। वर्ष 1997 से महाराज श्री श्रीमद भागवत कथा, श्री राम कथा, देवी भागवत, शिव पुराण कथा, भगवत गीता इत्यादि पर प्रवचन देते आ रहे हैं। वर्ष 2015 में इन्हें “यूपी रतन” पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।

आज के इस लेख में हम आपको श्री देवकीनंदन ठाकुर महाराज की जीवनी, आयु, परिवार, पत्नी, शिक्षा, जाति,आय, संपत्ति, जर्नी के बारे में बताएंगे।

जन्म : श्री देवकीनंदन ठाकुर महाराज का जन्म 12 सितंबर 1978 को कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा के माॅंट क्षेत्र के ओहावा ग्राम में एक ब्राहम्ण परिवार में हुआ।

श्री देवकीनंदन ठाकुर के पिता का नाम राजवीर शर्मा तथा माता का नाम श्रीमति अनसुईया देवी है जिनसे यह बचपन से ही कृष्ण भक्ति तथा लोक कथाओं का सुनते हुए बचपन व्यतीत हुआ।  देवकीनंदन ठाकुर की पत्नी का नाम अंदमाता है तथा इन के पुत्र का नाम देवांश  है। यह अपना साधारण जीवन जीते हैं जो लोगों के लिए प्रेरणा का काम करता है।

वर्तमान में श्री देवकीनंदन ठाकुर छटीकारा वृंदावन रोड, वैष्णो देवी मंदिर के पास, श्री धाम वृंदावन उत्तरप्रदेश में रहते है।

शिक्षा : देवकीनंदन ठाकुर ने अंग्रेजी भाषा में स्नातक की डिग्री पूरी की है। इसके अतिरिक्त उन्होंने वैदिक तथा आध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त किया है। हिंदू सनातन संस्कृति से जुड़े लगभग सभी प्रकार के धर्म ग्रंथों का इन्होंने अध्ययन किया है। श्रीमद्भागवत गीता तो इन्हें कंठस्थ याद है। इनकी प्रतिभा एवं बोलने की कला बहुत ही प्रभावित हैं।

करियर : देवकीनंदन ठाकुर महाराज बचपन से ही कृष्ण की लीला एवं उनके कथाओं को सुनते आ रहे थे। बचपन से ही उनमें महानता और अंतर्दृष्टि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। प्रारंभिक शिक्षा पूरी होते-होते इनके मन पर कृष्ण लीलाओं का इस कदर प्रभाव पड़ा कि मात्र 6 वर्ष की उम्र में देवकीनंदन ठाकुर महाराज अपने घर को छोड़कर वृंदावन में रहने लगे।

वहां उन्होंने ब्रिज के प्रसिद्ध रसाली संस्थान में भाग लिया, जहां पर भगवान कृष्ण और भगवान राम के रूपों का प्रदर्शन किया करते थे। श्री धाम वृंदावन में देवकीनंदन महाराज को आध्यात्मिक गुरु सतगुरु आनंद विभूति भागवत आचार्य पुरुषोत्तम शरण शास्त्री से मुलाकात हुई, जिनसे उन्होंने प्राचीन शास्त्र ग्रंथों की शिक्षा दीक्षा प्राप्त की।

वृंदावन में कृष्ण लीला में देवकीनंदन ठाकुर महाराज इस तरह खो जाया करते थे कि लोगों को यह कृष्ण के मूर्ति के भांति लगते थे, जिसके बाद इन्हें लोग ठाकुर जी के नाम से पुकारने लगे थे।

उसके बाद देवकीनंदन ठाकुर महाराज ने समाज कल्याण की तरफ भी ध्यान दिया। इन्होंने समाज में फैली हुई कई कुरीतियों को दूर करने के लिए प्रयास किया। सन 1997 में इन्होंने दिल्ली में श्रीमद् भागवत कथा, देवी भागवत, शिव कथा, भगवत गीता, श्री राम कथा इत्यादि का वाचन का प्रारंभ किया और इन कथाओं के माध्यम से इन्होंने जन समुदायों में आपसी प्रेम सद्भाव एवं संस्कृति एवं संस्कार के विचार फैलाने शुरू किए।

अपने आयोजित कार्यक्रम में महाराज कथाओं को इस प्रभावी ढंग से बताया करते थे कि उनके कार्यक्रम में लाखों लोग का जनसैलाब उमड़ जाता था। न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम, सिख, ईसाई जैसे अन्य धर्म के लोग भी इनके कार्यक्रम में आते हैं और महाराज के बताई गई बातों को अपनाते हैं। प्रवचन करते-करते महाराज पूरे भारत में लोकप्रिय हो गए और भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी आगे उनके कार्यक्रम आयोजित होने लगे।

सामाजिक योगदान : धार्मिक कार्यों के अतिरिक्त महराज कई सामाजिक कार्यों में भी योगदान देते हैं ताकि समाज में व्याप्त कुप्रथा को मिटाया जा सके और लोगों में एकता लाई जा सके। इसके लिए इन्होंने कई अभियान भी चलाई है। आज के समय में लाखों की संख्या में देवकीनंदन ठाकुर महाराज को चाहने वाले हैं। यहां तक कि देश-विदेश में भी इनके प्रवचन को सुना जाता है।

20 अप्रैल 2006 में इन्होंने विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की थी। इस चैरिटेबल ट्रस्ट के स्थापना का उद्देश्य भारत के विभिन्न स्थानों पर कथा एवं शांति संदेश यात्राओं का आयोजन करना है।

अपने कार्यक्रम में शामिल होने वाले लाखों जन समुदायों को विभिन्न सामाजिक कुरीतियों एवं विसंगतियों के प्रति जागरूक करने के लिए कई अभियान इन्होंने शुरू किए। इसके माध्यम से भी लोगों को एकजुट करने का प्रयास करते हैं। इतना ही नहीं इस संस्था के जरिए महाराज गुरु रक्षा अभियान भी शुरू किए हैं।

समाज में कई तरह की समस्याएं व्याप्त है। इसलिए महाराज ने केवल गौ रक्षा अभियान ही नहीं बल्कि गंगा यमुना प्रदूषण मुक्त, जल एवं पर्यावरण संरक्षण, दहेज प्रथा, छुआछूत और आज के आधुनिक युग के युवाओं को भारतीय संस्कृति और संस्कार में डालने जैसी कई अन्य तरह के अभियानों को भी शुरू किया है।

कुल संपत्ति : आज के समय में देवकीनंदन ठाकुर महाराज बहुत ही लोकप्रिय वाचक बन चुके हैं। इनके भागवत कथा, राम कथा, कृष्ण कथा प्राचीन ग्रंथों के कथाओं के कार्यक्रम में लाखों लोग शामिल होते हैं।

इस तरह देवकीनंदन ठाकुर महाराज अपने प्रत्येक कार्यक्रम के लिए ₹1 लाख से भी ज्यादा चार्ज करते हैं। बात करें अब तक इनकी कुल संपत्ति के तो इनकी कुल संपत्ति छह से सात करोड़ रुपए बताई जाती है।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म : देवकीनंदन ठाकुर महाराज की सोशल मीडिया पर आधिकारिक चैनल बनी हुई है, जहां पर इनके द्वारा कही जाने वाली कथा को अपलोड किया जाता है। यूट्यूब पर भी इनके चैनल है, जहां पर लोग घर बैठे देवकीनंदन ठाकुर महाराज की कथा को सुनने का लुफ्त उठा सकते हैं।

कुछ तथ्य :

० महाराज जी मात्र 6 वर्ष की आयु में अपना घर छोड़ कर चले गए थे।

० वह देश विदेश में 900 से ज्यादा कथाएँ कर चुके है।

० उन्होंने सनातन धर्म का प्रचार प्रसार किया।

० महाराज जी की एक गौशाला है जिसमे वे गौ माताओं की सेवा करते है।

० ठाकुरजी महाराज UP Ratna Award से सम्मानित है। जो उन्हें मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने दिया था।

० महाराज जी 18 सितंबर 2018 को SC/ST act के खिलाफ प्रदर्शन में जेल गए थे।

० देवकीनंदन ठाकुर जी की Net Worth लगभग 5 crores है।

अंतिम शब्द : महाराज जी कट्टर हिन्दूवादी है और अपना योगदान समाज की भलाई के लिए समय-समय पर देते रहते है। और कथा वाचन के में युवाओ को प्रेरित करते है।

भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म को प्राथमिकता देना और उनका प्रचार प्रसार करना ही गुरूजी का उद्देश्य है। भारतीय संस्कृति की धरोहर संभालने के लिए गुरूजी का योगदान देश हमेशा याद रखेगा।

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धन्यवाद!