स्वामी अवधेशानंद गिरि की जीवनी

स्वामी अवधेशानंद गिरि  जी जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर हैं, उन्हें जूना अखाड़े का प्रथम पुरुष मान जाता है। जूना अखाड़ा भारत में नागा साधुओं का बहुत पुराना और बड़ा समूह है। स्वामी अवधेशानंद गिरि ने लगभग दस लाख नागा साधुओं को दीक्षा दी है और वे उनके पहले गुरु हैं। इनका आश्रम कनखल, हरिद्वार में है।
      स्वामी अवधेशानंद गिरि हिंदू धर्म आचार्य सभा के अध्यक्ष हैं और वर्ल्ड काउंसिल ऑफ रिलीजियस लीडर्स के बोर्ड मेंबर भी हैं।

प्रारंभिक जीवन और संन्यास : स्वामी अवधेशानंद गिरि का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के खुर्जा में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। ऐसा बताते हैं कि अपने बाल्य काल में स्वामी अवधेशानंद गिरि प्रायः अपने पिछले जन्म के बारे में बात करते थे। उन्होंने 14 वर्ष की आयु में संन्यास के लिए घर छोड़ दिया।

घर छोड़ने के बाद उनकी भेंट स्वामी अवधूत प्रकाश महाराज से हुई। स्वामी अवधूत प्रकाश महाराज योग के विशेषज्ञ और वेद शास्त्रों के बडे जानकार थे। स्वामी अवधेशानंद गिरि ने उनसे वेदांत दर्शन और योग की शिक्षा ली।

गहन ध्यान और तप के बाद वर्ष 1985 में स्वामी अवधेशानंद जब हिमालय की कंदराओं से बाहर आए तो उनकी भेंट अपने गुरु, पूर्व शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि से हुई। स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि से उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली और अवधेशानंद गिरि के नाम से जूना अखाड़ा में प्रवेश किया।

वर्ष 1998 के हरिद्वार कुंभ में, जूना अखाड़े के सभी संतों ने मिलकर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी को आचार्य महामंडलेश्वर के रूप में नियुक्त किया।

वह श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के सदस्य हैं।

वर्तमान में, स्वामी अवधेशानंद गिरि प्रतिष्ठित समनव्य सेवा ट्रस्ट, हरिद्वार के अध्यक्ष हैं, जिसकी भारत और विदेश में कई शाखाएँ हैं। इस ट्रस्ट में विश्व प्रसिद्ध, भारत माता मंदिर, हरिद्वार सम्मिलित हैं।

सामाजिक पहल  : हरिद्वार में, एक वृद्धाश्रम और एक फिजियोथेरेपी सेंटर समन्वय सेवा ट्रस्ट के तहत चल रहा है। मध्य प्रदेश में भोपाल में एक शैक्षिक और जल संरक्षण के लिए शिव गंगा परियोजना परियोजना चल रही है।

दर्शन और उपदेश : स्वामी अवधेशानंद गिरि को वेदांत और प्राचीन भारतीय दर्शन विषयों का गहरा ज्ञान है। वह संस्कृत में स्नातक हैं और 2008 में उन्हें विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। ।

आध्यात्मिकता : स्वामी अवधेशानंद गिरि विभिन्न टीवी चैनलों जैसे संस्कार टीवी और कई बड़े आयोजनों जैसे कुंभ मेला, एनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदूइज़्म और विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन (देश, समाज और व्यक्ति) जैसे कार्यक्रमों में एक नियमित वक्ता हैं।

स्वामीजी विभिन्न समाचार पत्रों में स्तंभकार के रूप में लेख भी लिखते हैं।

स्वामी अवधेशानंद गिरि के कई हाई-प्रोफाइल अनुयायी हैं। बॉलीवुड से लेकर राजनेताओं तक उनके हरिद्वार स्थित हरिहर आश्रम में कई हाई प्रोफाइल लोग पहुंचते रहे हैं। अक्टूबर 2019 में, भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने हरिहर आश्रम का भ्रमण किया। वो आईआईटी(IIT) रुड़की के दीक्षांत समारोह में उपस्थित होने हरिद्वार गए थे। 

प्रकाशित पुस्तकें :

  • सागर के मोती
  • आत्मानुसंधान
  • आत्म अवबोध
  • सत्यम शिवम सुंदरम
  • मुक्तिपथ
  • सवारें   अपना  जीवन
  • जीवन दर्शन
  • साधना मंत्र
  • प्रेरणा के पुष्प
  • स्वर्णिम सुक्त्य
  • अमृत गंगा
  • कल्पवृक्ष की छाँव
  • ज्ञान सूत्र
  • स्वयं के लिए यात्रा
  • आत्म अनुभव
  • पूर्णता  की  और
  • आध्यात्मिक  कथायें
  • साधना पथ
  • अमृत प्रभाकरण
  • ब्रम्ह  ही  सत्य  है
  • सामूहिक साप्ताहिक सत्संग
  • दृष्टांत  महासागर
  • आत्म आलोक
  • गरिस्थ  गीता

पुरस्कार और सम्मान : सद्भाव और आध्यात्मिक जागृति के क्षेत्र में उनके प्रयासों के लिए उन्हें यह पुरुस्कार पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा विज्ञान भवन, नई दिल्ली में प्रदान किया गया था ।

SIES एमिनेंस अवार्ड 2019, भी उन्हें मिला।

कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका में हिंदू पुनर्जागरण पुरस्कार 2008 (यह पुरस्कार हिंदुस्तान पत्रिका द्वारा उन हस्तियों को दिया जाता है जो हिंदू धर्म के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं और उसे सुदृढ़ करते हैं) ।

अवधेशानंद महाराज के अमृत वचन :

यह सम्पूर्ण संसार परमात्म रूप है – “पुरुष सवेदं सर्वम् …” अर्थात्, हम अपने आस-पास जो कुछ देखते और पाते हैं, वह सब परमात्मा का ही तो रूप है। हम स्वयं परमात्मा के एक अंश हैं और दूसरे जीव भी उसी के अंश हैं। राधे राधे

धन्यवाद!