130+ Gulzar की शायरी,कोट्स और 2 Line शायरी
गुलजार का असली नाम ” संपूर्ण सिंह कालरा ” है | यह हमारे प्रसिद्ध शायर, हिंदी फिल्म क्षेत्र के गीतकार एवं संगीतकार और फिल्म के एक सफल निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं | गुलजार द्वारा लिखी गई शायरी और गीत हमारे जीवन को नई दिशा देते हैं गुलजार फिल्म क्षेत्र के जाने-माने सुप्रसिद्ध शायर गीतकार और फिल्म निर्देशक की अचूक पहचान है | गुलजार अपने कला क्षेत्र के जीवन में साहित्य अकादमी पुरस्कार और सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किए जा चुके हैं | गुलजार द्वारा लिखी गई शायरी हमें जीवन के नाजुक मोड़ पर भी सीखने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रहती है |
लौटने का ख्याल भी आए
तो बस चले आना,
इंतजार आज भी बड़ी
बेसब्री से है तुम्हारा..
उनकी ना थी कोई खता
हम ही गलत समझ बैठे
वो मोहब्बत से बात करते थे
हम मोहब्बत समझ बैठे !
किसी ने मुझसे पूछा की
दर्द की कीमत क्या है.?
मैंने कहा, मुझे नही पता
मुझे लोग फ्री में दे जाते हैं !
तमाशा जिंदगी का हुआ,
कलाकार सब अपने निकले !
मुकम्मल इश्क से ज्यादा तो चर्चे
अधूरी मोहब्बत के होते हैं !
दोस्ती रूह में उतरा हुआ
रिश्ता है साहब,
मुलाकातें कम होने से
दोस्ती कम नही होती..
गुस्सा भी क्या करूं तुम पर
तुम हंसते हुए बेहद अच्छे लगते हो !
बहुत कम लोग हैं
जो मेरे दिल को भाते हैं,
और उससे भी बहुत कम हैं
जो मुझे समझ पाते हैं..
इतने बुरे नही थे
जितने इल्ज़ाम लगाए लोगों ने,
कुछ किस्मत खराब थी
कुछ आग लगाई लोगों ने..
कोई रंग नही होता
बारिश के पानी में,
फिर भी फिजा को रंगीन
बना देती है..
हंसना मुझे भी आता था
पर किसी ने रोना सिखा दिया,
बोलने में माहिर हम भी थे
किसी ने चुप रहना सिखा दिया..
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है
दिल तो रोज़ कहता है
कि तुम्हे कोई सहारा चाहिए,
फिर दिमाग कहता है
क्यों तुम्हे धोखा दुबारा चाहिए..
आइने के सामने खड़े होकर
खुद से ही माफी मांग ली मैंने,
सबसे ज्यादा अपना ही दिल दुखाया है
औरों को खुश करते करते..
नजर भी ना आऊं
इतना भी दूर ना करो मुझे,
पूरी तरह बदल जाऊं
इतना भी मजबूर मत करो मुझे..
कमियां तो पहले भी थीं मुझमें
अब जो बहाना ढूंढ़ रहे हो
तो बात अलग है…
वो सफर बचपन के अब तक
याद आते हैं मुझे,
सुबह जाना हो कहीं तो
रात भर सोते नही थे..!
बातों से सीखा है हम ने
आदमी को पहचानने का फन
जो हल्के लोग होते हैं
शाम से आंख में नम सी है,
आज फिर आप की कमी सी है।
खुश्बू जैसे लोग मिले अफसाने में,
एक पुराना ख़त अनजाने में
खुशबू जैसे लोग मिले अफसाने में,
एक पुराना खत खोला अंजाने में।
यूँ भी इक बार तो होता है कि समुद्र बहता,
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता है
यूं भी इक बार तो होता की समुंदर होता,
कोई एहसास तो दरिया की आना का होता है
आदतन तुमने दे दी है
आदतन हमने ऐतबार किया
दौलत नहीं शोहरत नहीं,न वाह चाहिए “कैसे हो?” बस दो लफ़्जों की परवाह चाहि दुपट्टा क्या रख लिया
सर पे वो दुल्हन नजर आने लगी उसकी तो अदा हो गयी जान हमारी जाने लगी.
जुल्फ में फंसी खोल देंगे बालियां। कान खिंच जाए अगर, खा लें मीठी गालियां।”
चांदी उगने लगी है बालो में..के उम्र तुम पर हसीन लगती है
कितनी लंबी खामोशियों से गुजरा हूं उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
दिल रिश्ते हमेशा किस्मत से ही बनते हैं वर्ना वरना मुलाकात तो रोज हज़ारों से होती है।
सोचो कितनी खूबसूरत होगी जिंदगी जब दोस्त, मोहब्बत और हमसफर तीनो एक ही इंसान हो।
प्यार में कितनी बाधा देखि, फिर भी कृष्ण के संग राधा देखि.
तेरी राहो में बारहा रुक कर
हमने अपना ही इंतजार किया
अब ना मांगेंगे जीवन या रब
ये बहाना हमने एक बार किया है
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं। रात भी आई थी और चांद भी था। हां मगर…नींद नहीं।”
वो चीज जिसे- दिल कहते हैं, हम भूल गए हैं रख के कहीं…
महफिल में गले मिलकर वह धीरे से कह गए,
ये दुनिया की रस्म है, इसे मोहब्बत मत समझ लेना!!
वो जो सूरत पर सबकी जल्दबाजी हैं उनको तोहफे में एक आना दीजिये।
गलत भी होंगी और गलत भी समझेगा ये जिंदगी है
जनाब यहां तरफ भी होगी और कोसा भी जाएगा
गुलज़ार साहब को शायरी का विकिपीडिया कहना गलत नहीं होगा।
हर मौके पर, जीवन के सभी पहलुओं पर गुलज़ार साहब ने शायरी कही है,
और वो भी ऐसी शायरी जो लोगो के दिलो दिमाग पर हमेशा के लिए छप जाती है।
आदतन तुम ने कर मरो वादे
आदतन हम ने ऐतबार किया
तेरी रहो में रुक कर
हम ने अपना ही इंतजार किया
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब
ये गुनाह हम ने एक बार किया
ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी नज़र होगा
ज़रा सा बीज उठा ले तो वृक्ष हैं
ज़मीन सा दूसरा कोई सखी कहा होगा
जरा सा बीज उठा ले तो पेड़ देते हैं
एक सौ सोलह चाँद की रातें
एक तुम्हारे कंधे का तिल
गीली मेहँदी की खुश्बू
झूठ मूठ के वादे
सब याद करा दो, सब भिजवा दो
मेरा वो सामान लौटा दो
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।
उस से कहना…”
इतना कहा… और फिर गर्दन नीची कर के
देर तलक वो पैर के अँगूठे से मिट्टी खोद-खोदके
बात का कोई बीज था, शायद, ढूंढ़ रही थी
देर तलक खामोश रही…
नाक से सिसकी पोंछ के आख़िर
गर्दन को कन्धे पर डाल के बोली,
“बस… इतना कह देना!”
बड़ी नादानी से पूछा उन्होंने, क्या अच्छा लगता हे,
हमने भी धीरे से कह दिया, एक झलक आपकी.
तेरा ख्याल है जब ही तेरे ख्याल में मस्त हूँ ना
दिल लाख मोहब्बत कर ले तुझसे पर तेरा तो दोस्त हूँ ना मैं।
शाख़ों से टूट जाये वो पत्ते नहीं हम, वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं, हम भूल गए हैं रख के कहीं।”
किसने रास्ते मे चांद रखा था, मुझको ठोकर लगी कैसे।
आंख तो भर आयी थी पानी से, तेरी तस्वीर जल गयी कैसे।।।
आँधी से कोई कह दे की औक़ात में रहे !!
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।”
मोहब्बत आपनी जगह, नफरत अपनी जगह मुझे दोनो है तुमसे.
वक़्त पे पांव कब रखा हमने, ज़िंदगी मुंह के बल गिरी कैसे।।
दूसरा मौका सिर्फ, मोहब्बत को दिया जाता हे, जिस शख्स से, मोहब्बत थी उसे नहीं.
तुझे चाहा बहुत पर कभी जताया नहीं दोस्ती का रिश्ता
भी ना खोलो इसलिए कभी बताया भी नहीं।
कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती, जब तक ख़ुद पर ना गुजरे।
शाख़ों से टूट जाये वो पत्ते नहीं हम,
आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई। “
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी, हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते..
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी.
आँधी से कोई कह दे की औक़ात में रहे !!
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है। “
आप के बाद हर घड़ी हम ने आप के साथ ही गुज़ारी है तुम्हारी ख़ुश्क सी
आँखें भली नहीं लगतीं वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं
बेशूमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूँद को इस ज़मीन से,
यूँ ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है!
75+ 2 Line Shayari Gulzar Quotes !
देर से गूंजते हैं सन्नाटे, जैसे हम को पुकारता है कोई।
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं,
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं।।
मोहब्बत थी तो, चाँद था, उतर गई तो, दाग भी दिखने लगे.
मेरी कदर तुझे उस दिन समझ जाएगी जिस दिन तेरे पास
दिलों को होगा मगर दिल से चाहने वाला कोई नहीं होगा।
अपने साए से चौंक जाते हैं,
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा..!!
आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है..!!
ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा,
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है..!!
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो,
कोई पुरानी तमन्ना पिंघल रही होगी..!!
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है..!!
कोई अटका हुआ है पल शायद,
वक़्त में पड़ गया है बल शायद..!!
दिल अब पहले सा मासूम नहीं रहा,
पत्त्थर तो नहीं बना पर अब मोम भी नही रहा..!!
दिल तो रोज कहता है मुझे कोई सहारा चाहिए,
फिर दिमाग कहता है क्या धोखा दोबारा चाहिए..!!
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं,
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी तो नहीं..!!
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं..!!
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते..!!
याद आएगी हर रोज़ मगर
तुझे आवाज़ ना दूँगा,
लिखूँगा तेरे ही लिए हर ग़ज़ल
मगर तेरा नाम ना लूँगा..!!
जो उम्र भर भी न मिल सके, उसे उम्र भर चाहना इश्क हे.
आदतन तुम ने कर दिए वादे, आदतन हमने ऐतबार किया।
तेरी राहो में बारहा रुक कर, हम ने अपना ही इंतज़ार किया।।
बहुत देखा हूँ जिंदगी में समझदार बनकर
लेकिन ख़ुशी हमेशा पागल बनकर ही मिलती है
तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं
तेरे बिना जिंदगी भी लेकिन जिंदगी तो नहीं
रिश्ते जब मजबूत होते हैं
बिन कहे महसूस होते हैं
मेरा और उनका कुछ ऐसा किस्सा है
की मेरी जिंदगी का वो बेहद खुबसूरत हिस्सा है
अब टूट गया दिल तो बवाल क्या करे
खुद ही किया था पसंद अब सवाल क्या करे
बेशक दोस्त कमीने है पर सब साले
जिगर के टुकड़े है
किसी की आदत हो जाना
मोहब्बत से भी ज्यादा खतरनाक है
तुम इश्क कारो और दर्द न हो
मतलब दिसम्बर की रात हो और सर्द न हो
रूठना तेरा लाजमी था हर बार मनाने की
आदत जो हमने डाली थी
कुछ लेकर मेरा ख्याल कभी नहीं बदलेगा
साल तो बहुत बदलेंगे पर
मेरा प्यार कभी नहीं बदलेगा
अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब, ये गुनाह हमने एक बार किया।।।
इश्क उसे भी था, इश्क मुझे भी था, कम्बख्त, उम्र बिच में आगई.
मोहब्बत के बाद मोहब्बत करना तो मुमकिन है लेकिन
किसी से टूट कर चाहना वह जिंदगी में एक बार ही होता है।
टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ, में फिर से निखर जाना चाहता हूँ।
सुनो….ज़रा रास्ता तो बताना.
मोहब्बत के सफ़र से, वापसी है मेरी..
नाम मिरा था और पता अपने घर का,
उस ने मुझ को ख़त लिखने की कोशिश की!
अपने साए से चौंक जाते हैं,
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा..!!
आप के बाद हर घड़ी हम ने,
आप के साथ ही गुज़ारी है..!!
ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा,
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है..!!
पलक से पानी गिरा है तो उसको गिरने दो,
कोई पुरानी तमन्ना पिंघल रही होगी..!!
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है..!!
कोई अटका हुआ है पल शायद,
वक़्त में पड़ गया है बल शायद..!!
आप सामने हों और हम
हद में रहें
मोहब्बत में कोई इतना भी
अब शरीफ नहीं रहे
खुदा से मौत मांग लेना
पर इंसान से मोहब्बत नहीं
उसने कहा बदनाम हूँ मैं
मैंने कहा काबुल हैं
अपने जिस्म की तलब तो
मिटा ली तुमने
मेरी रूह की ख्वाइशों का
क्या करूँ मै
इश्क है तुमसे है
और कबूल है
कहो तो इजहार कर दूँ
उतार फेंक दी उसने तोहफे
में मिली पायल
उसे दर था छनकेगी तो
याद अ जाऊंगा मैं
उसका वादा भी अजीब था
कि जिंदगी भर साथ निभाएंगे
मैंने भी ये नहीं पुछा कि
मोहब्बत के साथ या यादों के साथ
बहुत करीब से अनजान बनके
गुजरा है वो शख्स
जो कभी बहुत दूर से
पहचान लिया करता था
रोते रहें हम रात भर पर
फैसला न कर सके,
तू याद आ रही है या
मैं याद कर रहा हूँ
कहना हो या मोहब्बत
अगर किसी को
ज्यादा दे दो तो वो
अधूरा छोड़ का चला जाता है
एक अच्छा दोस्त
एक अच्छी किताब
एक अच्छी सोच
ये तीन चीज इन्सान की
जिंदगी बदल देती है
जब तक आये नींद
जी भर के सो लो
सुना है जिम्मेदारियां
नींदे उड़ा देती है
हमेशा से तो नहीं रहा होगा
तू भी सख्त दिल
तेरी भी मासूमियत से भी
किसी ने खेला होगा
दिल अब पहले सा मासूम नहीं रहा,
पत्त्थर तो नहीं बना पर अब मोम भी नही रहा..!!
दिल तो रोज कहता है मुझे कोई सहारा चाहिए,
फिर दिमाग कहता है क्या धोखा दोबारा चाहिए..!!
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं,
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन ज़िन्दगी तो नहीं..!!
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी,
जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं..!!
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते..!!
याद आएगी हर रोज़ मगर
तुझे आवाज़ ना दूँगा,
लिखूँगा तेरे ही लिए हर ग़ज़ल
मगर तेरा नाम ना लूँगा..!!
गुलजार शायरी इमेज
ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,
बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं..!!
मुझे छोड़ कर वो खुश है तो सिकायत केसी,
अब्ब मैं उससे खुश ना देखु तो मोहबात केसी..!!
एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा..!!
कब आ रहे हो मुलाकात के लिए
मैंने चाँद रोका है एक रात के लिए |
मैं तो सोचता हूँ हमेशा मासूम बने रहना
ये जो जिन्दगी है समझदार किये जाती है |
ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,
बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।
अक्सर वही दीये हाथों को जला देते हैं
जिसको हम हवा से बचा रहे होते हैं |
महफ़िल में गले मिलकर वह धीरे से कह गए,
यह दुनिया की रस्म है, इसे मुहोब्बत मत समझ लेना!!