60+ जैन मुनि तरुण सागर जी (Jain Tarun Sagar Ji) के कड़वे अनमोल वचन(Kadve Anmol Vachan)
जैन मुनि तरुण सागर जी (Jain Tarun Sagar Ji ke Kadve Anmol Vachan) का असली नाम पवन कुमार था वह एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे जैन तरुण सागर जी का जन्म मध्य प्रदेश के दमोह जिले के एक गांव में हुआ था | जैन मुनि तरुण सागर जी बचपन से ही प्रतिभावान और शांत स्वभाव के बालक थे | जैन मुनि तरुण सागर जी 13 साल की उम्र में ही अपने घर को छोड़कर जैन मुनि की दीक्षा के लिए आश्रम चले गए | जैन मुनि तरुण सागर जी 20 साल की उम्र में दिगंबर मुनि से दीक्षा प्राप्त कर ली तथा हमेशा के लिए वस्त्रों का त्याग कर दिया | जैन मुनि तरुण सागर जी एक समय भोजन ग्रहण करने का व्रत को पालन करना शुरू कर दिया | जैन मुनि तरुण सागर जी के जीवन के प्रति बताए हुए कड़वे वचन आज हम लोग को सही मार्गदर्शन पर प्रोत्साहित करते हैं|
खुद की कमाई से कम खर्च हो ऐसी जिन्दगी बनाओ..!
दिन मेँ कम से कम 3 लोगो की प्रशंसा करो..!
किसी के सपनो पर हँसो मत..!
आपके पीछे खडे व्यक्ति को भी कभी कभी आगे जाने का मौका दो..!
रोज हो सके तो सुरज को उगता हुए देखे..!
खुब जरुरी हो तभी कोई चीज उधार लो..!
किसी के पास से कुछ जानना हो तो विवेक से दो बार…पुछो..!
समय सबसे ज्यादा कीमती है, इसको फालतु कामो मेँ खर्च मत करो..
जो आपके पास है, उसी मेँ खुश रहना सिखो..!
बुराई कभी भी किसी कि भी मत करो,
क्योकिँ बुराई नाव मेँ छेद समान है,
बुराई छोटी हो बडी नाव तो डुबो ही देती है..!
हमेशा सकारात्मक सोच रखो..!
हर व्यक्ति एक हुनर लेकर पैदा होता है
बस उस हुनर को दुनिया के सामने लाओ..!
कोई काम छोटा नही होता हर काम बडा होता है जैसे कि सोचो जो
काम आप कर रहे हो अगर वह काम
आप नही करते हो तो दुनिया पर क्या असर होता..?
खुद की भुल स्वीकारने मेँ कभी भी संकोच मत करो..!
सफलता उनको ही मिलती है जो कुछ करते है
कुछ पाने के लिए कुछ खोना नही बल्कि कुछ करना पडता है….!
भले ही लड़ लेना झगड़ लेना पिट जाना या फिर पीट देना मगर
कभी बोलचाल बंद मत करना क्यूंकि बोलचाल के बंद
होते ही सुलह के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं!”
जीवन में माता, महात्मा और परमात्मा से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं।
जीवन में तीन आशीर्वाद जरुरी हैं – बचपन में माँ का,
जवानी में महात्मा का और बुढ़ापे में परमात्मा का।
माँ बचपन को संभाल देती हैं,
महात्मा जवानी सुधार देता हैं
और बुढ़ापे को परमात्मा संभाल लेता हैं।
मंजिल मिले या न मिले ये मुकद्दर की बात हैं,
लेकिन हम कोशिश ही न करे ये गलत बात हैं।
चिंता का विषय ये नहीं कि रूपये की कीमत कम हो रही है,
चिंता का विषय ये हैं कि मनुष्यता की कीमत काम हो रही हैं।
इस देश को विवेकानंद जैसे हिन्दू और
अब्दुल कलाम जैसे मुसलमान मिल जायें तो दुनिया की
कोई ताकत हमारे देश की तरफ आँख
उठा कर भी नहीं देख सकती।
जिनमे अकेले चलने के हौसले होते हैं,
उनके साथ काफिले होते हैं।
कर्ज और शत्रु को कभी बडा मत होने दो..!
स्वयं पर पुरा भरोसा रखो..!
हंसते मनुष्य हैं कुत्ते नहीं : क्योंकि हंसने का हक केवल
मनुष्य को प्राप्त हुआ है तो हमेशा मुस्कुराते रहें
प्रार्थना करना कभी मत भुलो,प्रार्थना मेँ अपार शक्ति होती है..!
अपने काम से मतलब रखो..!
“परम्पराओं और कुप्रथाओं में बारीक़ फर्क होता हैं!”
आदमी की औकात एक मुट्ठी राख से ज्यादा नहीं है
बच्चों को संस्कार से परीपूर्ण करें ना की गाडी बंगले से
जरूरत से अधिक खाने वालो को दवा की जरूरत पड़ती है
कोई जागे या ना जागे मुकद्दर उसका, मेरा तो फर्ज हैं आवाज लगाना।
“पैसों का अहंकार रखने वाले हमेशा इस बात का ध्यान रखें
कि पैसा कुछ भी हो सकता है, बहुत कुछ हो सकता है,
मोबाइल नहीं, आदमी स्माइल से बनता है स्मार्ट
चाय में चीनी कम लेकिन जुबान मीठी रखिए
अपने भोजन के लिए किसी दूसरे को भूखा रखना अनुचित
हर हाल में मुस्कुराने की आदत डाल तो तो जीवन
सत्यम, शिवम्, सुंदरम का परियाये बन जायेगा –
औरों की मदद करें बिना अपने फायदे के ।
मिलना जुलना सीखिए बिना मतलब|
जीवन जीना सीखिए बिना दिखावे के और
मुस्कुराना सीखिए बिना सेल्फी के।
कभी तुम्हारे माँ- बाप तुम्हे डांट दें तो बुरा मत मानना,
बल्कि सोचना गलती होने पर माँ बाप नहीं डाटेंगे तो कौन डाटेंगे,
कुछ पाने के लिए कुछ खोना नहीं,
कुछ करना पड़ता हैं।
“वैसा मजाक किसी के साथ मत कीजिये
जैसा मजाक आप सह नहीं सकते!”