हम सभी के लिए भोलेनाथ का दिन सोमवार को अति शुभ माना जाता है इस दिन को हम सोमवारी के नाम से भी जानते हैं | सोमवार का दिन शंकर भगवान को समर्पित होता है. आज के दिन भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. कुछ लोग आज के दिन व्रत भी रखते हैं ताकि शिव की विशेष कृपा प्राप्त की जा सके. बहुत से लोग सोमवार को भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं तथा कथा का वाचन करते हैं और पूजा याचना करते हैं | आइए हम सभी भी सोमवारी कथा का श्रवण करें |
सोमवार व्रत की विधि- भगवान शिव की पूजा आराधना काफी आसान तरीके से संभव होता है पूजा याचना में मुख्यता : बेलपत्र और गंगाजल की विशेष आवश्यकता होती है | हर सोमवार को व्रत धारी शिव मंदिर में जाकर जल चढ़ाते हैं तथा बेलपत्र रखकर भगवान शिव से अपना मनोकामना पूर्ण होने के लिए आशीर्वाद मानते हैं | नारद पुराण के अनुसार हमें शिव-गौरी की पूजा करनी चाहिए. शिव पूजन के बाद सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए. इसके बाद केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए. सोमवार व्रत तीन प्रकार का होता है प्रति सोमवार व्रत, सौम्य प्रदोष व्रत और सोलह सोमवार का व्रत. इन सभी व्रतों के लिए एक ही विधि होती है.
सोमवार की व्रत कथा-
एक बार की बात है किसी नगर में एक साहूकार रहते थे उनका परिवार खुशहाल तथा धन की कमी नहीं थी पर उस साहूकार को एक बहुत बड़ा दुख था क्योंकि उसका कोई संतान नहीं था विवाह की कई वर्षों बाद भी उस साहूकार को कोई भी संतान की प्राप्ति नहीं हुई इसलिए वह अपने पूरे तन मन से सोमवार का व्रत रखता था तथा शिव पार्वती की की पूजा करता था संतान प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार व्रत रखता था और पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा करता था.
साहूकार की भक्ति देखकर एक दिन मां पार्वती बहुत प्रसन्न हुई तथा शिव जी से आग्रह करने लगी कि आप साहूकार को संतान प्राप्ति का वरदान दे पर शिवजी ने बोला कि इस दुनिया में हर किसी को अपने भाग्य तथा कर्म के फल को भोगना पड़ता है जैसा चल रहा है वैसा रहने दो शिव जीने कहां | मां पार्वती के बार-बार अनुग्रह करने से भगवान शिव ने उस साहूकार को संतान प्राप्ति के वरदान दिए तथा वरदान साथ एक शर्त यह था कि संतान की आयु बस 12 वर्षों तक ही रहेग ऐसे वरदान को पाकर साहूकार ना ज्यादा खुश हुआ और ना गम किया |
समय बीतता गया और साहूकार की भक्ति भगवान शिव और पार्वती के प्रति बढ़ती चली गई समय आने पर साहूकार को एक पुत्र धन की प्राप्ति हुई | साहूकार के घर में खुशी की लहर आ गई और समय के हिसाब से बालक बड़ा हुआ तथा शिक्षा प्राप्त करने के लिए तैयार हो गया | जब वह बालक ग्यारह वर्ष का हुआ तो उसे पढ़ने के लिए काशी भेज दिया गया. साहूकार ने पुत्र के मामा को बुलाकर उसे बहुत सारा धन दिया और कहा कि तुम इस बालक को काशी विद्या प्राप्ति के लिए ले जाओ और मार्ग में यज्ञ कराना. जहां भी यज्ञ कराओ | वहां ब्राह्मणों को भोजन कराते और दक्षिणा देते हुए जाना. उसका मामा काशी पहुंचा तो उन्होंने यज्ञ किया तथा ब्राह्मणों को दक्षिणा स्वरूप रत्न और मणि भी दिए |
जिस दिन लड़की की आयु 12 वर्ष में प्रवेश किया तो अचानक लड़की का तबीयत खराब होने लगा तथा उसने अपने मामा से बोला कि मैं अच्छा महसूस नहीं कर रहा हूं तो फिर उसके मामा ने उसे अंदर कुटिया में आराम करने का कहा | जब बालक सो रहा था तभी भगवान शिव के शर्त के मुताबिक उसके प्राण निकल गए तथा वह बालक की मृत्यु हो गई | उस घर में काफी शोकाकुल माहौल हो गया तथा सभी रोनी लगने लगे | तभी उस समय आकाश मार्ग से शिव और पार्वती जी भ्रमण के लिए निकले थे यह सब देख कर माता पार्वती ने शिवजी से कहा कि आप उस बालक को जिंदा कर दीजिए मां पार्वती के अनुग्रह पर शिवजी उस कुटिया में उस बालक को जिंदा करने के लिए गए फिर उन्होंने देखा कि यह बालक उसी साहूकार का है जिसको मैंने 12 वर्ष आयु का ही वरदान दिया थाअब इसकी आयु पूरी हो चुकी है. लेकिन मातृ भाव से विभोर माता पार्वती ने कहा कि हे महादेव, आप इस बालक को और आयु देने की कृपा करें अन्यथा इसके वियोग में इसके माता-पिता भी तड़प-तड़प कर मर जाएंगे.
माता पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव ने उस लड़के को जीवित होने का वरदान दिया. शिवजी की कृपा से वह लड़का जीवित हो गया. शिक्षा समाप्त करके लड़का मामा के साथ अपने नगर की ओर चल दिया. दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुंचे, जहां उसका विवाह हुआ था. उस नगर में भी उन्होंने यज्ञ का आयोजन किया. उस लड़के के ससुर ने उसे पहचान लिया और महल में ले जाकर उसकी खातिरदारी की और अपनी पुत्री को विदा किया.
इधर साहूकार और उसकी पत्नी भूखे-प्यासे रहकर बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने प्रण कर रखा था कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वह भी प्राण त्याग देंगे परंतु अपने बेटे के जीवित होने का समाचार पाकर वह बेहद प्रसन्न हुए. उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा- हे श्रेष्ठी, मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लम्बी आयु प्रदान की है. इसी प्रकार जो कोई सोमवार व्रत करता है या कथा सुनता और पढ़ता है उसके सभी दुख दूर होते हैं और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.