Pandit Shri Ram Sharma Acharya Ji Anmol Vachan

60+ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी (Pandit Shri Ram Sharma Acharya ji) के अनमोल वचन(Anmol Vachan)

पंडित श्री राम आचार्य शर्मा जी (Pandit Shri Ram Sharma Acharya Ji Anmol Vachan) हम सभी के लिए आदर्श पुरुष हैं | आज भले वह इस दुनिया में नहीं है उनके बताए गए बातों को मानकर लोग आज अपना जीवन सुखद से बिता रहे हैं | पंडित श्री राम आचार्य शर्मा जी शांतिकुंज हरिद्वार के संस्थापक होने के साथ-साथ मां गायत्री के बहुत बड़े भक्त थे | उन्होंने ही मां गायत्री के पूजा अर्चना तथा मां गायत्री के कई ग्रंथों का संस्कृत से हिंदी में रूपांतरण किया | पंडित श्री राम आचार्य शर्मा जी के अनमोल वचन हम सभी के जीवन को नई दिशा प्रदान करते आ रहे हैं | उनके द्वारा प्रकाशित होने वाला पुस्तक “अखंड ज्योति ” मैं उनके विचार तथा उनकी भक्ति की प्रेरक कहानियां पढ़कर हम सभी को जीवन में हमेशा सफल बनाती आ रही हैं |

अपने भाग्य को मनुष्य खुद बनाता है ईश्वर नहीं |

सबसे अभागा वह है, जिसमें आत्म-संयम नहीं है”

भगवान केवल उन्हीं की सहायता करता है जो बड़े उद्देश्यों के लिए अपने आप को सौंप देते हैं |

गलती करना बुरा नहीं है पर गलती को ना सुधारना सबसे बुरा है

दूसरे को पीड़ा नहीं देना ही मानव धर्म है |

चरित्र के उत्थान एवं आत्मिक शक्तियों के उत्थान के लिए इन तीनों सद्गुणों-होशियारी, सज्जनता और सहनशीलता का विकास अनिवार्य है.

अपना धर्म , अपनी संस्कृति अथवा अपनी सभ्यता छोड़कर दूसरों की नक़ल करने से कल्याण की संभावनाएं समाप्त हो जाती हैं.

विचारों के अन्दर बहुत बड़ी शक्ति होती है. विचार आदमी को गिरा सकतें है और विचार ही आदमी को उठा सकतें है, आदमी कुछ नहीं हैं.

“शिष्ठता – विनम्रता – शिष्टाचार संस्कृति का आधार है, बड़ों के प्रति अनादर और मिथ्या-अहंकार के संयोजन से व्यवहार में अशिष्टता आती है।”

यदि व्यक्तित्व में शालीनता का समावेश न आया तो, फिर पढ़ने में समय नष्ट करने से क्या लाभ?

पुण्यों में सबसे बड़ा पुण्य, परोपकार है।

मित्र वह है जो मित्र की भलाई करे।

“लोगों को बदलने का सबसे अच्छा तरीका उपहास करना नहीं है, बल्कि उन्हें सोचने का एक नया तरीका दिखाना और उन्हें बदलने का अवसर देना है।”

मनुष्य एक अनगढ़ पत्थर है, जिसे शिक्षा रूपी छेनी ओर हथौड़ी से सुंदर आकृति प्रदान की जा सकती हैं।

जो शिक्षा मनुष्य को परावलम्बी, अहंकारी और धूर्त बनाती हो, वह शिक्षा, अशिक्षा से भी बुरी है।

जिस शिक्षा में समाज और राष्ट्र के हित की बात नहीं हो, वह सच्ची शिक्षा नहीं कही जा सकती।

मुस्कुराने की कला दुखों को आधा कर देती है।

” कभी निराश न होने वाला ” सबसे बड़ा साहसी होता है

अपनी प्रसन्नता को दूसरों की प्रसन्नता में लीन कर देने का नाम ही ‘प्रेम’ है।

फूलों की खुशबू हवा के विपरीत दिशा में नहीं फैलती लेकिन सद्गुणों की कीर्ति दसों दिशाओं में फैलती है।

प्रभावी और सार्थक उपदेश वह होता है जो वाणी से नहीं, अपने आचरण से प्रस्तुत किया जाता है।

मनुष्य अपनी परिस्थितियों का निर्माता खुद ही होता है।

दूसरों के साथ वह व्यवहार मत करो, जो तुम्हें खुद अपने लिए पसन्द नहीं।

शालीनता बिना मोल मिल जाती है, परन्तु उससे सब कुछ खरीद सकते है।

अपने भाग्य को मनुष्य खुद बनाता है, ईश्वर नहीं।

जीवन में दो ही व्यक्ति असफल होते हैं,  एक वे जो सोचते हैं पर करते नहीं,, दूसरे जो करते हैं पर सोचते नहीं.

अपनी गलतियों को ढूँढना , अपनी बुरी आदतों को समझना , अपनी आन्तरिक दुर्बलताओं को अनुभव करना और उन्हें सुधारने के लिए निरन्तर संघर्ष करते रहना  यही जीवन संग्राम है.

कोई भी सफलता बिना आत्मा विश्वास के मिलना असंभव है.

जैसी जनता, वैसा राजा. प्रजातन्त्र का यही तकाजा.

सच्चा ज्ञान वह है , जो हमारे गुण, कर्म, स्वभाव की त्रुटियाँ सुझाने, अच्छाईयाँ बढ़ाने एवं आत्म  निर्माण की प्रेरणा प्रस्तुत करता है.

राग और द्वेष , स्वार्थ और कुसंगत के जन्मदाता है

यदि आप अपने दैनिक जीवन और व्यवहार में निरन्तर जागरुक, सावधान रहें, छोटी छोटी बातों का ध्यान रखें, सतर्क रहें, तो आप अपने निश्चित ध्येय की प्राप्ति में निरन्तर अग्रसर हो सकते हैं. सतर्क मनुष्य कभी गलती नहीं करता, असावधान नहीं रहता और कोई उसे दबा नहीं सकता.

“देने के लिए सबसे अच्छा उपहार: प्रोत्साहन के माध्यम से दूसरे व्यक्ति के आत्मविश्वास का निर्माण करना है।”

“जिम्मेदारी चरित्र के विकास की ओर ले जाती है।”

सारी दुनिया का ज्ञान प्राप्त करने के बाद भी खुद को न पहचान पाए तो वैसा ज्ञान निरर्थक है |

लक्ष्य के अनुरूप भाव उदय होता है, तथा उसी स्तर का प्रभाव क्रिया में पैदा होता है।

जीवन में सफलता पाने के लिए, आत्म विश्वास उतना ही ज़रूरी है, जितना जीने के लिए भोजन. कोई भी सफलता बिना आत्मा विश्वास के मिलना असंभव है।

दूसरों की परिस्तिथि में हम अपने को रखें, अपनी परिस्थिति में दूसरों को रखें और फिर विचार करें की इस स्तिथि में क्या सोचना और करना उचित है ?

“नकारात्मक विचारों का जुनूनी चिंतन आग से खेलने जैसा है।”

“उन लोगों की प्रशंसा न करें जिन्होंने अनुचित तरीके से अपना धन और सफलता अर्जित की है।”

“मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं है, वह उनका निर्माता, नियंत्रक और स्वामी है”

सारी दुनिया का ज्ञान प्राप्त करके भी जो स्वयं को नहीं जानता उसका सारा ज्ञान ही निरर्थक है.

जो शिक्षा मनुष्य को धूर्त, परावलम्बी और अहंकारी बनाती हो वह अशिक्षा से भी बुरी है.

हमारी शिक्षा तब तक अपूर्ण रहेगी, जब तक उसमें धार्मिक विचारों का समावेश नहीं किया जाएगा.

किसी का आत्मविश्वास जगाना उसके लिए सर्वोत्तम उपहार है |

मुस्कुराने की कला दुखों को आधा कर देती है.

“अपने व्यक्तिगत आत्म-मूल्य का एहसास करें और विश्वास करें कि आप दुनिया के एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं”

संकट या तो मनुष्य को तोड़ देते हैं, या उसे चट्टान जैसा मज़बूत बना देते हैं।

सबसे बड़ा दीन दुर्बल वह है, जिसका अपने ऊपर नियन्त्रण नहीं।

असफलता यह बताती है कि सफलता का प्रयत्न पूरे मन से नहीं किया गया.

शारीरिक गुलामी से बौद्धिक गुलामी अधिक भयंकर है.

जीवन में सफलता पाने के लिए, आत्म विश्वास उतना ही ज़रूरी है ,जितना जीने के लिए भोजन.

मैले कपड़े को साफ़ करने के लिए, जो उपयोगिता साबुन की है. वही मन पर चढ़े हुए मैल को शुद्ध करने के लिए स्वाध्याय की है।

धर्म से आध्यात्मिक जीवन विकसित होता है, और जीवन में समृद्धि का उदय होता है।

“पाप कर्मों के साथ हमेशा दुःख, पतन और दुर्भाग्य होता है।”

“एक दूसरे के लिए प्यार और सहयोग से भरा परिवार धरती पर स्वर्ग की अभिव्यक्ति है।”