Rahat Indori Shayari, Quotes And 2 Line Shayari In Hindi

135+ Rahat Indori की शायरी,कोट्स और 2 Line शायरी 

अगर प्यार और दर्द की शायरी की बात हो तो राहत इंदौरी शायर को हम कभी नहीं भुला पाएंगे | राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर भारत में हुआ था | राहत इंदौरी की शायरी में रिश्तो को लेकर और रिश्तो को निभाना तक उनकी शायरी में झलकता था | राहत इंदौरी एक महान शायर और लेखाकार के रूप में लोक हमेशा इन्हें याद करते रहेंगे | राहत इंदौरी की मृत्यु 11 अगस्त 2020 कोरोना जानलेवा बीमारी के कारण हुआ था | राहत इंदौरी द्वारा फिल्म क्षेत्र में एक अच्छे गीतकार और लेखाकार के रूप में अपने को प्रस्तुत किया | राहत इंदौरी का स्थान कोई भी शायर शायद ही ले पाए |

तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो

ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे
फकीरी पे तरस आता है
अपने हाकिम की फकीरी पे तरस आता है
जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे

जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूँ, हिसाब तो दे

मेरे कलम से लफ्ज़ खो गए शायद
आज वो भी बेवफा हो गाए शायद
जब नींद खुली तो पलकों में पानी था
मेरे ख्वाब मुझपे रो गाए शायद

ये मोहब्बत के हादसे अक्सर
दिलों को तोड़ देते हैं
तुम मंजिल की बात करते हो
लोग राहों में ही साथ छोड़ देते हैं

तेरे इश्क़ ने दिया सुकून इतना
कि तेरे बाद कोई अच्छा न लगे
तुझे करनी है बेवफाई तो इस अदा से कर
कि तेरे बाद कोई बेवफ़ा न लगे

नफरत को मोहब्बत की आँखों में देखा
बेरुखी को उनकी अदाओं में देखा
आँखें नम हुईं और मैं रो पड़ा
जब अपने को गैरों की बाहों में देखा

जल-जल के दिल मेरा जलन से जल रहा
एक अश्क मेरे आँख में मुद्दत से पल रहा
जिसका मैं कर रहा हूँ घुट-घुट के इंतजार
वो बेवफा ना आई मेरा दम निकल रहा

फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो
इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो
बहुत हसीन है दुनिया
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो

उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है
बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं
मैं बच भी जाता तो…
किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है
आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है

जो मेरा दोस्त भी है, मेरा हमनवा भी है
वो शख्स, सिर्फ भला ही नहीं, बुरा भी है
मैं पूजता हूँ जिसे, उससे बेनियाज़ भी हूँ
मेरी नज़र में वो पत्थर भी है खुदा भी है
सवाल नींद का होता तो कोई बात ना थी
हमारे सामने ख्वाबों का मसअला भी है
जवाब दे ना सका, और बन गया दुश्मन
सवाल था, के तेरे घर में आईना भी है
ज़रूर वो मेरे बारे में राय दे लेकिन
ये पूछ लेना कभी मुझसे वो मिला भी है.

बुलाती है मगर जाने का नईं
ये दुनिया है इधर जाने का नईं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुजर जाने का नईं
सितारें नोच कर ले जाऊँगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नईं
वफा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नईं
वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नईं.

एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो!!

ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था
मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था
तेरे सलूक तेरी आगही की उम्र दराज़
मेरे अज़ीज़ मेरा ज़ख़्म भरने वाला था
बुलंदियों का नशा टूट कर बिखरने लगा
मेरा जहाज़ ज़मीन पर उतरने वाला था
मेरा नसीब मेरे हाथ काट गए वर्ना
मैं तेरी माँग में सिंदूर भरने वाला था
मेरे चिराग मेरी शब मेरी मुंडेरें हैं
मैं कब शरीर हवाओं से डरने वाला था.

वफ़ा को आज़माना चाहिए था, हमारा दिल दुखाना चाहिए था
आना न आना मेरी मर्ज़ी है, तुमको तो बुलाना चाहिए था
हमारी ख्वाहिश एक घर की थी, उसे सारा ज़माना चाहिए था
मेरी आँखें कहाँ नाम हुई थीं, समुन्दर को बहाना चाहिए था
जहाँ पर पंहुचना मैं चाहता हूँ, वहां पे पंहुच जाना चाहिए था
हमारा ज़ख्म पुराना बहुत है, चरागर भी पुराना चाहिए था

मुझसे पहले वो किसी और की थी,
मगर कुछ शायराना चाहिए था चलो माना ये छोटी बात है,
पर तुम्हें सब कुछ बताना चाहिए था तेरा भी शहर में कोई नहीं था,
मुझे भी एक ठिकाना चाहिए था कि किस को किस तरह से भूलते हैं,
तुम्हें मुझको सिखाना चाहिए था

ऐसा लगता है लहू में हमको, कलम को भी डुबाना चाहिए था
अब मेरे साथ रह के तंज़ ना कर,
तुझे जाना था जाना चाहिए था क्या बस मैंने ही की है बेवफाई,
जो भी सच है बताना चाहिए था मेरी बर्बादी पे वो चाहता है,
मुझे भी मुस्कुराना चाहिए था बस एक तू ही मेरे साथ में है,
तुझे भी रूठ जाना चाहिए था हमारे पास जो ये फन है मियां,
हमें इस से कमाना चाहिए थाअब ये ताज किस काम का है,
हमें सर को बचाना चाहिए था उसी को याद रखा उम्र भर कि,
जिसको भूल जाना चाहिए था मुझसे बात भी करनी थी,
उसको गले से भी लगाना चाहिए था उसने प्यार से बुलाया था,
हमें मर के भी आना चाहिए था.

बहुत गुरूर है दरिया को अपने हनी पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं

हवा खुद अब के हवा के खिलाफ है, जानी
दिए जलाओ के मैदान साफ़ है, जानी
हमे चमकती हुई सर्दियों का खौफ नहीं
हमारे पास पुराना लिहाफ है, जानी
वफ़ा का नाम यहाँ हो चूका बहुत बदनाम
मैं बेवफा हूँ मुझे ऐतराफ है, जानी
है अपने रिश्तों की बुनियाद जिन शरायत पर
वहीँ से तेरा मेरा इख्तिलाफ है, जानी
वो मेरी पीठ में खंज़र उतार सकता है
के जंग में तो सभी कुछ मुआफ है, जानी
मैं जाहिलों में भी लहजा बदल नहीं सकता
मेरी असास यही शीन-काफ है, जानी.

जिस दिन आप किसी के प्यार में पड़ जाते हैं,
आपको लगता है कि आपके जीवन का सबसे खुशी का दिन है,
लेकिन वास्तविक रूप में आप सबसे कमजोर
व्यक्ति बन जाते हैं जो किसी के बिना नहीं रह सकता .. !!

आज हर चीज बिक गयी बाज़ार में
पर हमारी तन्हाई को खरीदने एक ना आया

इंसानो की बस्ती का
यही तो बस एक रोना है
अपने हो तो ज़ज्बात,
दूसरों के हों तो खिलौना है…

खुशियों का यह दौर है
पर हम जानते हैं
हकीकत कुछ और है
ज़िन्दगी की हकीकत को
बस इतना ही जाना है
दर्द में अकेले हैं और
खुशियों में सारा जमाना है…

टूट कर अब हम बिखरने लगे हैं
सच छोड़ कर झूठ अब निखरने लगे हैं।

सब एक चराग के परवाने होना चाहते हैं
अजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं…..
कभी किसी को छला नहीं,
ए तो मैं चला नहीं….

सितारे भी जाग रहे हो,
रात भी सोई ना हो,
ऐ चाँद मुझे वहाँ ले चल जहाँ
उसके सिवा कोई ना हो

काश ये दिल बेजान होता,
ना किसी के आने से धडकता,
ना किसी के जाने पर तडपता.

रात तो क्या,
पूरी जिन्दगी भी,
जाग कर गुजार दूँ तेरी खातिर।
बस तू एक बार कह कर तो देख कि,
मुझे तेरे बिना नींद नही आती।

सोचा था इस कदर उनको भूल जाएँगे,
देखकर भी अनदेखा कर जाएँगे,
पर जब जब सामने आया उनका चेहरा,
सोचा एस बार देखले, अगली बार भूल जाएँगे……

तो नजर जमाये रखना ग़ालिब,
क्योंकि नसीब हो या दुपट्टा,
सरकता जरुर है.!!

वो आँखें जिन से मुलाक़ात इक बहाना हुआ…..
उन्हें ख़बर ही नहीं कौन कब निशाना हुआ….

इंतज़ार ऐ इश्क में
बैचैनी का आलम मत पूछो
हर आहट पर लगता है,
वो आये है… वो आये है….

से पढी जाती है
हया की कहानी
चेहरे पर नकाब डाल के
कोई पारसा नही होता…

दुपट्टा क्या रख लिया उसने सर पर
वो दुल्हन नजर आने लगी
उसकी तो अदा हो गई और
जान हमारी जाने लगी..

मेरी आँखें ले लो, लेकिन मुझे तुम्हें देखने दो,
मेरा मन ले लो लेकिन मुझे तुम्हारे बारे में सोचने दो
मेरा हाथ ले लो लेकिन मुझे तुम्हें छूने दो
लेकिन मेरा दिल लेने की कोशिश मत करो
क्योंकि इसके पहले से ही आपके साथ…। !!

मैंने कभी खोजा नहीं लेकिन मैंने तुम्हें पाया
मैंने कभी नहीं पूछा लेकिन आपके पास है
मैंने कभी किसी चीज की कामना नहीं की, लेकिन यह सच है
मैं सिर्फ भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं
मुझे आप जैसी प्यारी बीवी देने के लिए ..!

आपको मुस्कुराने के लिए,
मैं कई मील पैदल चलूंगा।
आपको बात सुनने के लिए,
सौ मील चलूंगा।
अपने हाथ को छूने के लिए,
मैं सात समुद्रों और भूमि को पार कर जाऊंगा।
तुम मेरे प्यार, जीवन हो
और सब कुछ जो मेरा अपना है। पत्नी

प्यार एक बादल की तरह है, प्यार एक सपने की तरह है
प्यार एक शब्द और बीच में हर बात है
प्रेम कथा साकार है
क्योंकि जब मैंने तुम्हें पाया तो मुझे प्यार मिला ..!

बुलाती हैं मगर जनेका नहीं
बुलाती है मगर जानेका नहीं
बोहा समशन है कोई लडकी नहीं

कोन है – कोन है
किसने दस्तक दी है दिल पर
कोन है
आप तो आंदर है बाहर कोन है

तुझसे मोहब्बत में इतनी वफ़ा की हमने
तेरी मोहब्बत की कुछ ऐसी परवाह की हमने,
जब भी किसी ने हमे प्यार से देखा
तुझे याद करके नजरें झुका ली हमने

मुझसे बात ना करके वो खुश है
तो शिकायत कैसी।
और मै उसे खुश भी ना देख पाऊ
तो मोहब्बत कैसी।

मै आखिर कौन सा मौसम तमहारे नाम कर देता,
यहा हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।

ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था

मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना
मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था
अंदर का ज़हर चूम लिया
अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए

किसी ने धुल क्या झोकी आँखो मे
कमाल तो देखो
पहले से अच्छा दिखने लगा है …!!

तेरी शान में क्या नज़्म कहूँ
अल्फाज नही मिलते. . .
कुछ गुलाब ऐसे भी हैं
जो हर शाख पे नही खिलते. . .

कैसे करें हम खुद को,
तेरे प्यार के काबिल..
जब हम आदतें बदलते हैं
तो तुम शर्तें बदल देते हो…

मुझे मालूम है
कि ये ख्वाब झूठे हैं
और ख्वाहिशें अधूरी हैं
मगर जिंदा रहने के लिए
कुछ गलतफहमियां भी जरूरी हैं…
सफर है ख्वाबों का …
सुबह एक तलाश है मंजिल की …….

महफ़ूज रख, बेदाग़ रख,
मैली ना कर ज़िन्दगी
मिलती नहीं इंसान को,
किरदार की चादर नई।

कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है

हसरतें कुछ और हैं…
वक्त की इल्तजा कुछ और है…
कौन जी सका है…
ज़िन्दगी अपने मुताबिक…
दिल चाहता कुछ और है…
होता कुछ और है…

मैं समुंदर का लिबास हूं
अभी इस नदी को पता नहीं।
यह सब मुझमें आके मिल गई
में किसी में जाके मिला नहीं।।

कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे
मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है

हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते

मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं
एक चिंगारी नज़र आई थी
नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से
ख़्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यूं हैं

हर कोई तेरे आशियाने का पता पूछता है,
न जाने किस किस से वफा के वादे किये है तूने !!
जिसके लफ़्ज़ों में हमें अपना अक्स मिलता है,
बड़े नसीबों से ऐसा कोई शख़्स मिलता है..!!

बात कोई और होती तो
हम कह भी देते आप से,
कम्बख्त मोहब्बत हैं
बताई भी तो नहीं जाती !!

वो चाहता था की कासा खरीद ले मेरा,
मई उस के ताज की कीमत लगा के लौट आया

बहुत से रिश्ते इसलिए भी ख़त्म हो जाते है,
क्यूँकी एक सही बोल नहीं पाता और
दूसरा सही समझ नहीं पाता…….

एक पंखा ही मेरी तन्हाई में रात भर
मुझसे बात करता था
कमबख्त मौसम की दस्तक ने
उसकी भी जबान छिन ली।

मोहब्बत क्या होती है मालूम नहीं था,
बस एक पागली मिली,
और जिन्दगी , सत्यानाश हो गयी.

जिस दिन…. तेरे हाथो की पकड़ ढीली पड़ी थी
समझ गया था तभी कि अब रास्ते बदलने वाले है।

कुछ दर्द होना चाहिए
जिंदगी में जनाब
अपने
ज़िंदा होने का
एहसास होता है।

कल की सोच कर
आज को क्यों बर्बाद करते हैं
चलो आज – आज पर अमल करते हैं

बनाया तो था खुद की जिंदगी के लिए
मगर दिल किसी और के लिए धड़कने लगा।

जो हुआ उसका गम न कर
रो रो कर आँखे नम न कर
ज़िन्दगी का खेल निराला है एक अँधेरे से
अपना उजाला कम न कर!

इस मतलबी दुनिया की
एक बात नीराली थी
सबके पास सब कुछ थी
बस दिल वाली जगह खाली थी।

हज़ार महफ़िल है…. लाख मेले है
जहाँ आप नहीं…. वहाँ हम अकेले हैं…!!

55+ 2 Line Shayari Rahat Indori Quotes !

एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे
वो अलग हट गया आँधी को इशारा कर के

इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है
नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं

फूलो की दुकान खोले खुशबू का व्यापार करो
इश्क खाता है तो इसे एक बार नहीं सौ बार करो।

अचानक बांसुरी से दर्द की लहरी है,
गुजरती है जो राधा पर वो गिरधारी समझौता है।

यूं तो हर फूल पर लिखा है की तोड़ो मत,
दिल मचाता है तो कहता है छोड़ो मत।

इश्क में पित्त का आने को काफ़ी हूं,
मैं निहत्था ही जमाने के लिए काफ़ी हूं।

क्या खरीदोगे ये बाजार बहुत महंगा है,
प्यार की जिद ना करो, प्यार बहुत महंगा है।

मैंने अपनी ख़ूबसूरत आँखों से लहू छिलका दिया,
एक समुंदर कह रहा था मुझे पानी चाहिए।

ये हदसा तो किसी दिन गूजरने वाला था,
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था।

मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यह हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।

इश्क में जीत के आने के लिए काफ़ी हूं,
मैंने अकेला ही जमाने के लिए काफ़ी हूं।

राह में खतरे भी हैं लेकिन थहरता कौन है मौत कल आती है,
आज आ जाए, डरता कौन है।

तेरे लश्कर के मुकाबिल मैं अकेला हूं,
मगर फैसला मैदान में होगा के मरता कौन है।

मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो,
आसमा लाए हो ले आओ ज़मी पर रख दो।

अब कहां ढूंढ़ने जाएंगे हमारे कातिल,
आप तो कत्ल का इल्जाम हमी पर रख दो

उसे जिस ताक़ पे कुछ टूटे दिए रखे हैं,
चाँद तारो को भी ले जाके वही पर रख दो।

हर हकीकत को मेरी ख़्वाब समझने वाले,
मैं तेरी नींद उड़ने के लिए काफ़ी हूं।

मेरे बच्चों मुझे दिल खोल के तुम खर्च करो,
मैं अकेला ही कामने के लिए काफ़ी हूं।

एक अखबार हूं औकत ही क्या मेरी,
मगर शहर में आग लगाने के लिए काफी हूं।

चांद एक टूटा हुआ टुकड़ा मेरे जाम का है,
और मेरा कौल नहीं हजरत ए खय्याम का है।

हम से पुछो के ग़ज़ल माँगती है,
कितना लहूब समझते हैं ये धंधा बड़े आराम का है

सुन पगली तेरा दिल भी धड़केगा
तेरी आँख भी फड़केगी..
अपनी ऐसी ‪आदत डालूँगा
के हर पल ‪‎मुझसे मिलने के लिये ‪तड़पेगी

मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल

मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।

हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते

चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,​
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश​
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।

अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है…!!

रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है…!!

मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी…

हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।पड़ता है।

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे​,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर जो
मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।

नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है

अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।

क्यों मदहोश करती है मुझे मौजूदगी तेरी ,
कहीं मुझे तुमसे प्यार तो नहीं हो गया ।

अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।

याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ,
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है।

जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है

सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।

बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए

अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।

मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी

हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते-जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते।

उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।

जा के कोई कह दे,
शोलों से चिंगारी सेफूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी
सेबादशाहों से भी फेके हुए सिक्के
ना लिएहमने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से

अब तेरी बारी है आया,
बचा ले अपने मेरे हाथों में जो पत्थर है तेरे नाम का है।

प्यासा अगर मेरी बुझा दे तो मैं जानू,
वरना तू समंदर है तो होगा मेरे किस काम का है।

सियासत में जरूरी है रवादारी समझौता है,
वो रोजा तो नहीं रखता पर आफत समझता है।