130+ सद्गुरु जग्गी वासुदेव के प्रेरणादायक कोट्स और थॉट
सद्गुरु जग्गी वासुदेव का जन्म 3 दिसंबर 1957 को मैसूर जिले के कर्नाटक राज्य में हुआ | उन्होंने ईशा फाउंडेशन की स्थापना की जिसके माध्यम से मानव जीवन की सेवा और हिंदू धर्म को ऊंचाइयों तक पहुंचाया जाए | सद्गुरु जग्गी वासुदेव के सुविचार हम सभी मानव जीवन के लिए एक वरदान के समान है | जिन्होंने हम सभी को जीवन में ” क्या पाया क्या खोया ” ” मृत्यु क्या है ” तथा ” सुख और दुख क्या होता है ” यह सारी महत्वपूर्ण बातों को हमारे मानव जीवन के लिए समझाया है | सद्गुरु जग्गी वासुदेव ईशा फाउंडेशन के संस्थापक के द्वारा मानव की सेवा करने का अवसर प्राप्त है | सद्गुरु जग्गी वासुदेव को 2017 में पदम भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है|
जीवन अर्थ से परे है, जीवन अर्थ से परे है और इसलिए यह इतना सुंदर है।”
इस उद्धरण में जग्गी वासुदेव बताते हैं कि जीवन क्या है।
जब आप किसी चीज को जानना चाहते हैं तो इतना तीव्र है
कि आप इसके लिए मरने को तैयार हैं,
तो जानना दूर नहीं है।” इस उद्धरण में जग्गी वासुदेव
बताते हैं कि हमें जीवन कैसे जीना चाहिए।
“यदि आप वास्तविकता में निहित हैं तो कोई डर नहीं होगा।”
इस उद्धरण में जग्गी वासुदेव बताते हैं कि
हमें डर में कैसे नहीं रहना चाहिए।
“दुनिया के धर्म एक व्यक्ति के दूसरे के खिलाफ विश्वास के बारे में नहीं हैं,
बल्कि सभी मनुष्यों के लिए उनके सामान्य अंतिम स्रोत के लिए एक अवसर हैं।”
इस उद्धरण में जग्गी वासुदेव बताते हैं कि हमें धर्मों की अवधारणा को कैसे लेना चाहिए।
“डर सिर्फ इसलिए है क्योंकि आप जीवन के साथ नहीं
जी रहे हैं, आप अपने मन में जी रहे हैं।”
इस उद्धरण में जग्गी वासुदेव बताते हैं कि हमें अपने
जीवन में डर को कैसे नहीं लेना चाहिए।
“जब तक हमारे जीवन में कुछ वास्तविकता नहीं बन जाती है,
अगर हम इसके बारे में बात करते हैं, तो यह झूठ बोलना है।
पूरी दुनिया खुद से और हर किसी से भगवान के बारे में झूठ बोल रही है।”
“लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि शरीर का मतलब दर्द होता है।
और फिर भी, बस सही भोजन, अभ्यास और दृष्टिकोण में थोड़ा परिवर्तन,
और यह शरीर एक चमत्कार बन जाता है।” इस उद्धरण में जग्गी
वासुदेव बताते हैं कि कैसे शरीर एक चमत्कार है।
“एक बार जब आपके जीवन में शांति आ जाती है, तो मन भी पूरी तरह से स्थिर हो जाता है।
जब आपका मन स्थिर हो जाता है, तो आपकी बुद्धि का विस्फोट होता है।”
इस उद्धरण में जग्गी वासुदेव बताते हैं कि मन पर नियंत्रण कैसे हमें परिपूर्ण बना सकता है।
आप हर चीज के साथ गहराई से शामिल हो सकते हैं,
लेकिन फिर भी इसके साथ अपनी पहचान नहीं बना सकते।”
इस उद्धरण में जग्गी वासुदेव जीवन के विभिन्न स्वादों की व्याख्या करते हैं।
अगर आप उन चीजों से अपनी पहचान बनाना बंद कर दें जो आप नहीं है,
तो आपका मन शांत हो जायेगा
ध्यान करने के लिये बस इतना ही करना होता है ।
जब आपकी खुशी इस बात पर निर्भर करती है कि
आपके बाहर क्या हो रहा है,
लगातार आप बाहरी परिस्थिति के गुलाम बनकर रहते हैं
“जब आपकी खुशी इस बात पर निर्भर करती है कि आपके बाहर क्या हो रहा है,
तो आप लगातार बाहरी स्थिति के गुलाम के रूप में रहते हैं।”
इस उद्धरण में जग्गी वासुदेव बताते हैं कि कैसे खुशी हमारे जीवन को बदल सकती है।
“आप हर चीज के साथ गहराई से शामिल हो सकते हैं, लेकिन फिर
भी इसके साथ अपनी पहचान नहीं बना सकते।” इस उद्धरण में जग्गी
वासुदेव जीवन के विभिन्न स्वादों की व्याख्या करते हैं।
“जब आपकी खुशी इस बात पर निर्भर करती है कि आपके बाहर क्या हो रहा है,
तो आप लगातार बाहरी स्थिति के गुलाम के रूप में रहते हैं।” इस उद्धरण में
जग्गी वासुदेव बताते हैं कि कैसे खुशी हमारे जीवन को बदल सकती है।
“गुरू कोई ऐसा व्यक्ति नहीं होता जो आपको सांत्वना देता है।
गुरू वो होता है, जो आपको उन सभी च़ीजों को नष्ट
करने के लिए तैयार करता है, जो आपके अंदर सीमित हैं।”
“स्पष्टता सिर्फ तभी आती है जब संतुलन होता है।
सबसे बड़ी चीज संतुलन ही हैं।”
“क्या आप अपने शरीर और मन के फंदे में जी रहे हैं, या एक बड़ी संभावना
के लिए आप अपने शरीर और मन को सोपान की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।
हर इंसान के पास यह विकल्प होता हैं।”
“अपने बच्चों के साथ जो सबसे अच्छी चीज आप कर सकते हैं,
वो ये कि उन्हें वैस ही रखें जैसे वो पैदा हुए थे-
एक सक्रिय इंटेलिजेंस, कोई निष्कर्ष नहीं।”
“एक स्तर पर, जीवन उत्साह से भरा और सक्रिय हैं।
दूसरे स्तर पर, यह पूरी तरह से निश्चल व स्थिर है। अंदर की
स्थिरता बाहर की सक्रियता का पोषण करती हैं।”
“आप जिस माहौल में रहते हैं, अगर वो आपको गढ़ता है,
तो आप खुद को एक नेता नहीं कह सकते। अगर आप उस
माहौल को गढ़ते हैं जिसमें आप रहते हैं, सिर्फ तभी आप
खुद को एक नेता कह सकते हैं।”
“आप अपने भीतर कैसे हैं, इससे ज्यादा
महत्वपूर्ण आपके लिए यह हो गया है
कि आप दूसरों के सामने दिखते कैसे हैं –
जब आप खुद के साथ ऐसा करते हैंं, तो पीड़ा का होना तय हैं।”
“लोग जो जीवन के बारे में जो मूर्खतापूर्ण निष्कर्ष निकालते हैं,
उससे कहीं अच्छा है कन्फ्यूजन में रहना। आपको बस
कन्फ्यूजन का आनंद लेना सीखना होगा।”
“जैसे ही आपको यह एहसास होता है, ‘मैं नहीं जानता,’
तो जानने की लालसा, खोज, और संभावना एक जीवंत सच्चाई बन जाती हैं।”
“आपके विचार और भावनाओं का अस्तित्व के स्तर पर कोई मायने नहीं है।
वो आपकी रचना हैं – आप उन्हें जैसा चाहें वैसा बना सकते हैं।”
“जिस क्षण आप एक निष्कर्ष निकालते हैं कि दूसरे छोर पर क्या होना चाहिए,
आप एक साधक नहीं हैं, आप एक निहित स्वार्थ हैं।”
इस उद्धरण में जग्गी वासुदेव बताते हैं कि
जीवन में आपकी रुचि कितनी महत्वपूर्ण है।
“नैतिकता, नैतिकता, नारों से जीने की कोशिश मत करो। ये सभी जागरूकता
के लिए बहुत ही घटिया विकल्प हैं। सचेत और जागरूक रहें, आप
जीवन को वैसा ही देखेंगे जैसा यह है।” इस उद्धरण में जग्गी वासुदेव
हमारे जीवन में नैतिकता के महत्व को समझाते हैं।
“एक गुरु के साथ रहना कभी भी सहज नहीं होता,
क्योंकि वह आपकी सभी सीमाओं,
आपकी सभी विचारधाराओं को तोड़ देगा।”
इस उद्धरण में जग्गी वासुदेव जीवन में
गुरु के महत्व को समझाते हैं।
अगर आप आज दुनिया को देंखे, तो झूठ का बोलबाला है,
सच्चाई लगभग गायब ह गयी है ।
इंसान की परिपूर्णता के लिये उसे उलटने का समय अब आ गया है ।
हर इंसान अपने भीतर पूरी तरह आनंदित जीवन जीने में सक्षम है।
उन्होंने खुद को इस बात से इंकार किया है
क्योंकि उन्होंने कभी खुद की तरफ नहीं देखा।
आप इस ब्रह्माण्ड में धूल के बस एक कण की तरह हैं ।
अगर आप अपने अस्तित्व का संदर्भ समझ जाते हैं,
तो आप स्वभाविक रूप से शांत हो जायेंगे ।
एक इंसान के भीतर विरोधाभास सिर्फ इसलिए है
क्योंकि वह उन चीजों का मानसिक रूप से पता लगाने की
कोशिश कर रहा है जो उसने अनुभव नहीं की हैं।
एक बार जब आपका मन पूर्ण रूप से स्थिर हो जाता है
तब आपकी बुद्धि मानवीय सीमाओं को पार कर जाती है।
अगर आप जीवन की सवारी करना जानते हैं,
तो जीवन एक अद्भूत प्रक्रिया बन जाता है
साधना आपको जीवन की लहर पर सवार होने में सक्षम बनाती है ।
“जो कुछ भी आपका उच्चतम है, आप उस पर चिंतन करें।
आपकी आंतरिक और बाहरी शुद्धता स्वाभाविक रूप से होगी।”
इस उद्धरण में जग्गी वासुदेव बताते हैं कि
हमें स्वाभाविक रूप से जीवन कैसे जीना चाहिए।
“एक गुरु के साथ रहना कभी भी सहज नहीं होता,
क्योंकि वह आपकी सभी सीमाओं,
आपकी सभी विचारधाराओं को तोड़ देगा।” इस उद्धरण में जग्गी
वासुदेव बताते हैं कि हमें कैसे सभी सीमाओं को तोड़ना चाहिए।
यदि आप परिवर्तन का विरोध करते हैं तो आप जीवन का विरोध करते हैं।
योग खुद को पूरी तरह मदहोश करने का तरीका है –
वाइन यांनी शराब से नहीं, जीवन से।
इसे डी-वाइन यानि चैतन्य कहा जाता है
नकारात्मकता आपको छू नहीं सकती
अगर आप सकारात्मकता के बारे में सोचते रहते हैं
जब दर्द, दुःख या क्रोध होता है
तब आपको अपने भीतर देखने की जरुरत है
न कि बाहर देखने की
किसी और को अपना हिस्सा बना लेने की चाह ही प्रेम है
आप जहां भी हों, आपका जिस चीज़ से सामना हो ,
हर परिस्थिति में जो उत्तम है उसे ले लें।
तब जीवन सीखने का एक सिलसिला बन जाता है।
अधिकतर लोग ईगो सेंसिटिव होते हैं लाइफ – सेंसिटिव नहीं।
अपने जीवन को लेकर बहुत गंभीर मत हो जाइए – ये बस एक खेल है
कहावत है कि देखने विश्वास होता है ,
लेकिन हर कोई वो ही देखता है जो वो देखना चाहता है।
“मैं तुम्हें बदलना चाहता हूँ” ये क्रांति नहीं है।
“मैं बदलना चाहता हूँ” अब ये एक क्रांति है।
प्रकृति के प्रति जाग्रत होना सीखिए
अगर आप ये नहीं सीखते तो
प्रकृति आपको ये बहुत क्रूरता से सिखाएगी
अविश्वसनीय चीजें आसानी से की जा सकती हैं यदि हम उन्हें करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
कुंठा, निराशा और अवसाद का मतलब है कि आप अपने खिलाफ काम कर रहे हैं।
प्रकृति का करो सम्मान यह है हम सबकी जान
दुनिया में इंसान ही एकमात्र ऐसा प्राणी है ,
जो पेड़ काटता है उससे कागज बनाता है,
और उस पर लिखता है “पेड़ बचाओ”
आप अपने बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण काम ये भी कर सकते हैं,
कि उन्हें बाहर प्रकृति में ले जाने के लिए कुछ समय निकालें।
आप जो चाहते हैं उसे पाने के बारे में प्यार नहीं है। यह खुद को खोने का अवसर है।
आपके प्यार करने की, लोगों तक पहुँचने की,
जीवन को अनुभव करने की क्षमता की कोई सीमा नहीं है।
सीमाएँ सिर्फ शरीर और मन की होती हैं।
जैसे फूल के लिए सुगंध होती है वैसे ही इंसान के लिए प्रेम होता है।
हर कोई भगवान से प्यार कर सकता है क्योंकि वह आपसे कुछ भी नहीं मांगता है।
लेकिन जो आपके बगल में है उससे प्यार करना अभी जीवन की कीमत है।
प्यार किसी को अपने हिस्से के रूप में शामिल करने की लालसा है।
समावेशन द्वारा आप जो हैं उससे अधिक बनने की संभावना है।
अगर आपके दिल में प्यार है, तो यह आपके जीवन में
आपका मार्गदर्शन करेगा। प्रेम की अपनी प्रज्ञा होती है।
प्रेम सुविधा का साधन नहीं है। प्रेम आत्म-विनाश की एक प्रक्रिया है।
प्रेम आराम का साधन नहीं है।
प्रेम स्वयं को मिटा देने की प्रक्रिया है।
मूल रूप में, प्रेम का अर्थ हैः पसंदों और नापसंदों से ऊपर उठ जाना।
प्रेम एक समाहित करने की प्रक्रिया है। जब एक बार आपको मैं अपने एक
अंश के रूप में शामिल कर लेता हूं, मैं आपके साथ वैसा ही होऊंगा, जैसा मैं खुद के साथ हूं।
जिस व्यक्ति के अंदर स्वयं को खोने का डर नहीं है, जो इससे मुक्त हो चुका है,
वही प्रेम को जान सकता है, वही प्रेम बन सकता है।
जब आप दुनिया में आते हैं, तब आपके भीतर जीवन के सिवाय कुछ नहीं होता।
आप इससे क्या बनाते हैं ये आप पर निर्भर है।
प्रेम – न तो आप सीख सकते हैं, न अभ्यास कर सकते हैं,
न ही आप बांट सकते हैं. यह तो बस खिलने व पुष्पित होने जैसा है।
कोई दो व्यक्ति कभी एक नहीं होते।
आप लोगों को बराबर नहीं बना सकते
आप सिर्फ बराबर के अवसर पैदा कर सकते हैं।
प्रेम, प्रकाश और आनंद भरी दुनिया – अब इसका समय आ गया है। आइए इसे कर दिखाएं।
प्रेम कोई काम नहीं बल्कि एक गुण है।
केवल वे ही लोग, जो अपने दिमाग का कचरा किनारे रख सकते हैं,
वास्तव में प्रेम और करुणा के काबिल होते हैं।
अगर कोई आपको इसलिए प्यार करता है कि आप उनके हैं, तो यह प्यार इसलिए
है क्योंकि वे आपको अपनी संपत्ति मानते हैं। अगर इस बात के लिए कोई
आपसे प्यार करता है, कि आप कौन हैं, तो आप भाग्यशाली हैं।
जो सही और गलत, पसंद और नापसंद में ही फंस कर रह गया है,
वो प्रेम की प्रकृति को कभी नहीं जान पायेगा
जो भी शर्तों पर आधारित है, वह प्रेम नहीं है।
प्रेम कोई ऐसी चीज नहीं है जो आप करते हैं बल्कि जो आप स्वयं हैं।
जो लोग एक दूसरे से सचमुच बहुत प्रेम करते हैं, वही लोग प्रियजन को खो
देने के बाद भी हालात को शालीनतापूर्वक सम्हाल पाएंगे।
प्रेम कोई रिश्ता नहीं है। प्रेम तो भावनाओं की एक तरह की मिठास है।
प्रेम की गहराई को जानने के लिए आपके कम-से-कम कुछ अंश को मिटना होगा।
वरना किसी दूसरे के लिए जगह नहीं होगी।
एक लव-अफेयर का महत्व इस बात में नहीं है कि दो लोगों के बीच क्या होता है,
बल्कि इसका महत्व उस मिठास में है जिससे यह आपको भर देता है।
असल में ध्यान का अर्थ है,
अनुभव के स्तर पर यह एहसास होना कि आप कोई अलग इकाई नहीं हैं – आप एक ब्रह्मांड हैं।
ध्यान का अर्थ यह नहीं है कि आपको अपने जीवन में हर क्षण मुस्कुराते रहना होगा,
बल्कि यह सीखना है कि आपकी हड्डियां भी मुस्कुराने लगें।
अगर आप अपने शरीर, दिमाग, ऊर्जा और भावनाओं को एक खास स्तर तक परिपक्व करते हैं,
ध्यान अपने आप फलित होगा।
ध्यान अपने अस्तित्व की खूबसूरती को जानने का एक तरीका है।
प्यार का सबसे अच्छा सबूत विश्वास है
प्रेम तुम्हारा गुण है। प्यार वह नहीं है जो आप करते हैं। प्रेम वही है जो तुम हो।
अगर कोई आपके साथ बुरा करता है, तो पहले प्यार करने की कोशिश करें।
अगर वह काम नहीं करता है, करुणा। यदि वह काम नहीं करता है, तो दूरी।
बहुत सारे लोग भूखे हैं इसलिए नहीं कि भोजन की कमी है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि मानव हृदय में प्रेम और देखभाल की कमी है।
मृत्यु अचानक घटित नहीं होता है। यह निरन्तर घटित हो रहा है, बस आप इससे अनजान हैं।
जीवन और मृत्यु कोई अलग चीज़ नहीं है। आप हर पल मृत्यु के नजदीक रहे हैं।
मृत्यु कोई दुर्घटना नहीं है ,
बहुत सारे जन्म असली दुर्घटना हैं।
लोग किताबों को पवित्र कहते हैं,
लेकिन उन्हें अभी भी ये समझना है कि जीवन पवित्र है।
हर इंसान एक बीज की तरह होता है।
यह आप पर निर्भर करता है कि
आप उसे एक बीज ही रहने दे या उसे फल और फूल से लदा एक पेड़ बना दें।
ख़ुशी बस आनंद की छाया है।
जब अपने अंदर कोई आनंद नहीं होता।
तो आप ख़ुशी खोजने लगते हैं।
अस्तित्व की शानदार प्रकृति, ज्यामिति और सुन्दरता कुछ ऐसी है कि
अगर आप खुद को एक सीध में लाते हैं तो पूरा ब्रह्मांड आपको रिस्पान्ड करेगा।
जब आप जीवन और जीवन-निर्माण की सामग्री को
वस्तुओं की तरह देखते और इस्तेमाल करते हैं,
तो आपको उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
ज्यादातर समय आप जीवन के बारे में सोच रहे हैं, जीवन जी नहीं रहे हैं,
आप अपनी जीवन-ऊर्जा को इसके सर्वोच्च स्तर पर काम नहीं करने दे रहे हैं।
जब आप आनंदमय होते हैं,
तो आपका किसी के साथ टकराव नहीं होता, और आप बेहद शानदार चीजें करते हैं।
एक आनंदमय जीवन बन जाना ,
सौ फ़ीसदी आपके हाथ में है –
अगर आप इसकी जिम्मेदारी लेते हैं।
आपकी ज्यादातर इच्छाएं वास्तव में आपकी नहीं होतीं।
आप बस उन्हें अपने सामजिक परिवेश से उठा लेते हैं।
सत्ता किसी को भ्रष्ट नहीं बनाती है। लोग भ्रष्ट होते हैं।
जब उन्हें सत्ता मिल जाती है, तो स्पष्ट रूप से दिखने लगता है।
इस पूरे ब्रह्मांड में आप केवल धूल के कण के सामान हैं।
अगर आप अपने अस्तित्व के सन्दर्भ को समझ लेते हैं,
तो आप स्वभावित रूप से शान हो जायेंगे।
ईमानदारी एक्शन के बारे में नहीं बल्कि उद्देश्य के बारे में है।
क्या आप इसे सबकी भलाई के लिए कर रहे हैं या अपने फायदे के लिए?
आध्यात्मिकता का मतलब है।
क्रमिक विकास की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाना।
सफलता तब मिलती है।
जब आप अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करते हैं।
अगर आप ये हर दिन नहीं करते तो महीने में
कम से कम एक बार इसका आंकलन जरूर कीजिए –
कि क्या आप एक बेहतर इंसान के रूप में विकसित हो रहे हैं।
अगर आप सफल होना चाहते हैं , सफलता को मत खोजिए
क्षमता सशक्तिकरण को खोजिए; अपने सर्वश्रेष्ठ से कम कुछ भी मत करिए
अगर आपके अंदर पूरी स्पष्टता है,
तो साहस की जरुरत ही नहीं
क्योंकि स्पष्टता आपको पार ले जाती है
सद्गुरु का मानना है कि आपके अंदर अगर सच्चाई और ईमानदारी है तो फिर
आपको आगे बढ़ने के लिए साहस की आवश्यकता नहीं पड़ती है बल्कि आपके
अंदर की सच्चाई ही आपको दूर तक ले आती है।
तो अगर आपको अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए साहस की आवश्यकता
है तो फिर सबसे पहले अपने प्रति सच्चाई और ईमानदारी का दामन थामें।
अगर हम दूसरों के प्रति घृणा और हिंसा पालते हैं,
तो एक दिन ये हमारे पास लौट आएगी।
हम जो कुछ भी दूसरों को देते हैं वही हमारे पास कई गुना होकर लौट आता है
अगर हम लोगो को प्रेम देते हैं तो लौट कर हमें प्रेम मिलता है और अगर हम घृणा,
हिंसा देते हैं तो फिर हमें यही घृणा, हिंसा ही वापस लौट कर मिलते हैं।
इसलिए अगर आप खुश जीवन जीना चाहते हैं तो सबसे पहले लोगों में प्रेम बाटना शुरू करें।
प्रेम और प्रसन्नता एक दिन आप तक वापस लौट कर आ ही जाएगी।
आप अपने भोजन के साथ कितने प्रेम, परवाह और कोमलता के साथ पेश आते हैं,
यही तय करता है कि आपका शरीर कैसा होगा।
हर चीज़ को ऐसे देखना जैसे कि वो है,
आपके जीवन को सहजता से जीने की शक्ति और क्षमता देता है।
यदि आप अपनी संपत्ति को अपनी भलाई में बदलना चाहते हैं तो आपको
आध्यात्मिक तत्व की आवश्यकता होगी।
बिना आध्यात्मिकता के आपकी सफलता आपके खिलाफ काम करेगी।
प्रेम कोई काम नहीं बल्कि यह एक गुण है।
केवल वो व्यक्ति जो अपने दिमाग का कचरा किनारे रख सकते हैं,
वास्तव में प्रेम और करुणा के काबिल होते हैं।
बाहरी परिस्थितियाँ आपको शारीरिक कष्ट ही दे सकती हैं।
दुख सिर्फ तुम्हारे मन की ही उपज है।
आपका दिमाग एक शक्तिशाली चीज है।
जब आप इसे सकारात्मक विचारों से भर देंगे।
तो आपका जीवन खुद बदलने लगेगा।
यह देखिए की जिंदगी में आगे कैसे बढ़ना है।
हरदम गाड़ी के पिछले शीशे में देखने से आप टकरा जायेंगे।
कितना अच्छा होता यह दुनिया छोटे बच्चों द्वारा चलाई जाती,
क्योंकि वो किसी और की तुलना में जीवन के कितने करीब होते।
ज्यादातर लोग पंछी की तरह पिंजरे में रहते हैं।
पिंजरे का दरवाजा तो खुला है लेकिन
वह पिंजरे में इतने व्यस्त हैं कि
कोई और सम्भावना उन्हें नहीं दिखती।
बुद्धि सत्य पर विजय पाना चाहती है।
भक्ति सत्य को बस अपना लेती है।