120+ Sharabi शायरी, 2 Line शायरी और Quotes
शराबी शायरी मुख्यतः पीने वाले लोगों और शराब के बीच तालमेल को प्रदर्शित करता है | शराब पीने के बाद एक व्यक्ति की पहचान शराबी के रूप में हो जाती है | जब वह नशे में धुत होता है तो उनके द्वारा किया गया काम तथा व्यवहार को हम शायरी के माध्यम से एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं | शराबी शायरी मैं शराब के गुण को बताना तथा पीने के बाद किसी व्यक्ति के सोच और विचार को दर्शाता है | हम सभी मित्रों को शराबी शायरी को पढ़ना तथा साझा करना काफी पसंद करते हैं |
मेरी अंधेरी रातों के उजले हैं,
पीता हूं जाम पर जाम तेरे नाम का,
हम तो शराबी बे-शराब वाले हैं..!!
हर मैखाना एहसान कर जाता है,
आपके गम हमारे नाम कर जाता है,
पिता है जाम महफिल में,
नाम साकी का बदनाम कर जाता है।
मेरी मोहब्बत की तकदीर देखो,
जो रुथे द उनके पैगाम आ रहे एच,
जब मार डाला मेरी प्यास ने मुझे को,
वो आंखें मैं लेके जाम आ रहे हैं…!
मगर ✍️ इल्ज़ाम शराब का नहीं उनका है,
जिनका चेहरा हमें हर जाम में नज़र आता है!
उसने हाथो से छू कर दरिया के
पानी को गुलाबी कर दिया..
हमारी बात तो और थी उसने
मछलियों को भी शराबी कर दिया
इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ,
सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ,
जो लोग करते हैं मुझे गिराने की कोशिश,
मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ।
बैठे हैं दिल में ये अरमां जगाये,
के वो आज नजरों से अपनी पिलाये,
मजा तो तब ही आये पीने का यारो,
शराब हम पियें और नशा उनको हो जाए!!
दिल पे जब से शराब का पहरा लग गया,
गम का अंदर आने का रास्ता बंद हो गया
ज़ुबान ✍️ ने जब से शराब को छू लिया,
उसका नाम हमेशा के लिए भूल गया
मैं खुशबू बना गर तू गुलाब हो जाए,
मैं बनूं जवाब गर तू सवाल हो जाए,
आदत नहीं पैमाने की हरगिज मुझे,
मैं पी भी लूंगा गर तू शराब हो जाए।
जनाब शराब पीना भी एक कला है,
कमबखत कई गम खोलने पड़ते हैं,
एक शीशे के प्याले में,
तभी जाकर कहीं फकीर नवाब बन जाते है रंगीन मयखाने में।
के कह दो जमाने से वो कोई और होंगे जो,
महबूब के छोड़ जाने से बैठ जाते हैं शराबखाने में,
तुम हसीन हो गुलाब ✍️ जैसी हो
बहुत नाजुक हो ख्वाब जैसी हो
दिल की धड़कन मे आग लगाती हो
हाथो से लगाकर पी जाऊ तुम्हें
सर से पाँव तक शराब जैसी हो
यूं मुस्कुरा कर नजरें झुकाया न करो ।
इस अदा पर होता है मेरा दिल दीवाना ।।
तुम्हारे होंठ नशीले जाम से नहीं कम ।
और तुम्हारी आँखें हैं मदमस्त मैखाना ।।
आँखो मे हर घड़ी तेरी तस्वीर रहेगी
मेरे दिल मे तेरे नाम की तहरीर रहेगी
अपने रूश्वाई का दर नही है मेरी जान-ए-मॅन
मेरे पाव मे तेरे ज़ुलफ की ज़ंजीर रहेगी
मेरी कब्र पे मत गुलाब लेके आना
ना ही हाथों में चिराग लेके आना
प्यासा हू मैं बरसो से जानम
बोतल शराब की और एक ग्लास लेके आना
पानी में विस्की मिलाओ तो नशा चढ़ता हैं,
पानी_में रम मिलाओ तो नशा चढ़ता हैं,
पानी में ब्रेडी मिलाओ तो नशा चढ़ता हैं,
साला पानी में ही कुछ गड़बड़ हैं,
इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ,
सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ,
जो लोग करते हैं मुझे गिराने की कोशिश,
मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ।
पीना चाहते थे हम सिर्फ एक जाम,
मगर पीते-पीते शाम से सवेर हो गयी,
बहके बहके कदम धीरे धीरे चले,
इसलिए आने में ज़रा सी देर हो गयी
हम लाख अच्छे सही लोग ख़राब कहते है
बिगड़ा हुआ वो हमको नवाब कहते है
हम तो ऐसे ही बदनाम हो गए है
की पानी भी पीये तो लोग शराब कहते है
हो चुकी मुलाकात ✍️ अभी सलाम बाकी है
तुम्हारे नाम की दो घूँट शराब बाकी है
तुमको मुबारक हो खुशियूं का शामियाना
मेरे नसीब मे अभी दो गज़ ज़मीन बाकी है
मैं तोड़ लेता अगर वो गुलाब होती!
मैं जवाब बनता अगर वो सवाल होती!
सब जानते हैं मैं नशा नहीं करता,
फिर भी पी लेता अगर वो शराब होती!
लाल शाराबी होंठ किसके लिए बने है,
इन्ही के इंतजार में हम कबसे खड़े हैं,
ज़रा हमे भी तो इन्हे छूने दीजिए,
होंठों का जाम एक बार तो पीने जीजिए।
आंखों से कह रहा हूँ समझ जाना ,
जुबां से कहूँगा तो बन जायेगा अफसाना ।।
इस तरह सबके सामने देखा न करो ।
उंगलियां उठाने लगेगा बेदर्द जमाना ।।
पी है शराब हर गली की दुकान से ,
दोस्ती सी हो गयी है शराब के नाम से ,
गुजरे है हम कुछ ऐसे मुकाम से ,
की आँखे भर आती है मोहब्बत के नाम से !
नशा हम करते हैं,
इल्ज़ाम शराब को दिया जाता है,
मगर इल्ज़ाम शारब का नहीं उनका है,
जिन्का चेहरा हमें हर जाम में नजर आता है।
इतनी पीता हूँ कि मधहोश रहता हूँ,
सब कुछ हूँ पर खामोश रहता हूँ,
जो लोग करते हैं मुझे गिरने की कोशिश,
मैं बार-बार उन्ही के साथ रहता हूँ।
इश्क-ए-बेवफाई ने डाल दी है आदत बुरी,
मैं भी शरीफ हुआ करता था इस जमाने में,
पहले दिन शुरू करता था मस्जिद में नमाज से,
अब ढलती है शाम शराब के साथ महकने में।
मधहोश हम हरदम रहा करते हैं,
और इलाज शराब को दिया करते हैं,
कसूर शराब का नहीं उनका है यारों,
जिसका चेहरा हम हर जाम में तलाश किया करते हैं।
आशिकों को मोहब्बत के अलावा अगर कुछ काम होता है,
तोह मैखाने जाके हर रोज यूं बदनाम न होता,
मिल जाती चाहने वाली उससे भी कहीं राह में कोई,
अगर कदमों में नशा और हाथ में जाम न होता।
पी के रात को हम उनको भुलाने लगे,
शराब में गम को मिलाने लगे,
दारू भी बेवफा निकली यारों,
नशे में तो वो और भी याद आने लगे।
शराब पहले तो दिल देता है, फिर जान भी ले लेता है।
यह ऐसा जालिम है की, इमान भी ले लेता है।
अपने मतलब की, हर बात पकड़ लेता है।
अंगली मिल जाय तो, फिर हाथ पकड़ लेता है।
क्या पिला दी तूने महुयेवाली शराब की पीकर एक गिरा है मयखाने में।
तीसरा कल आया था जमानत पर फिर पीकर गिर गया परवाने में।
दिल गम से भरा तो,नज़रो का पैमाना छलक गया।
जब याद आई बेवफा की, मेरे दिल की पैमाना छलक गया।
शीशी भरी गुलाब की, पत्थर से तोड़ दूं।
कोई नज़रों से जाम, पिलाये तो क्या करूँ।
रात चुप है मगर चंद खामोश नहीं,
कैसे कहूं आज फिर होश नहीं,
इस तरह डूबा हूं तेरी मोहब्बत की घराई में,
हाथ में जाम है और पीना का होश नहीं।
रोक दो मेरे जनाज़े को ज़ालिमोन,
मुझ में जान आ गई है,
पीछे मुड़ के देखो कमीनो,
दारू की दुकान आ गई है…
प्रोत्साहित करना !
एक जाम उल्फत के नाम,
एक जाम मोहब्बत के नाम।
एक जाम वफ़ा के नाम,
पुरी बोतल बेवफा के नाम,
और पूरा ठेका दोस्तों के नाम।
तेरी आंखों के ये जो प्यारे हैं,
मेरी अंधेरी रातों के उजले हैं,
पीटा हूं जाम पर जाम तेरे नाम का,
हम तो शराबी बे-शराब वाले हैं..!!
पी है शारब हर गली हर दुकान से,
एक दोस्ती सी हो गई है शराब के जाम से,
गुजरे हैं हम इश्क में कुछ ऐसे मुकाम से,
के नफरत सी हो गई है मोहब्बत के नाम से।
गम इस कदर मिला की घबरा के पी गए,
खुशी थोड़ी सी मिली तो मिला के पी गए,
यूं तो ना थी जनम से पीने की आदत,
शारब को तन्हा देखा तो तारास खा के पी गए।
नशा हम करते हैं,
इलज़ाम शराब दिया जाता है,
मगर इल्ज़ाम शराब का नहीं है,
सच का चेहरा हमें हर जैम में नजर आता है!
बोतल छुपा देना कफन में मेरी,
शमशान में पिया करुंगा,
जब मांगे हिसाब खुदा,
उन्हें भी एक पेग बना कर दिया करूंगा।
हमेशा याद आती है उनकी,
और मूड हो जाता है खराब,
तब हमेशा लेकर बैठे हैं हम,
एक हाथ में कलाम और एक हाथ में शराब।
हम तो जी रहे द उनका नाम लेकर,
वो गुज़रते हमारा सलाम लेकर,
कल वो कह गए भुला दो हमको,
हमने पूछा कैसे,
वो चले गए हाथों में जाम देकर।
रात भी है शराबी, मौसम भी है गुलाबी ।
तू नज़रों से जाम पी ले, मेरी आँखे भी है शराबी ।
साकी की तरफ देखो, हम तो मैखाना लिये बैठे हैं ।
हमपे हो तुम्हारे करम, हम तो पैमाना लिये बैठे हैं ।
उजड़ा चमन, उजड़ी मुहब्बत, कैसे उजड़ी प्यार की डाली ।
खुदा जाने किसने मेरी, चाहत की शाख काट डाली ।
हमारी तिश्नागी से आज साकी,
शारब का जिगर थारा रहा एच,
निगाहों से जरा शिराब फार्मा,
की मेहकाना तो भुजता जा रहा एच।
नहीं की हू में किस आलम में, साकी ने ये क्या पिला दिया मुझको।
अंधे भी ह क्या दिलकश अंधेरे, जो महकने की चोकत पर झड़े ह,
निगाहे चूर ह नीन्दो से उनकी, घनेरे बाल गालो पर पढ़े ह।
साकी गम-ए-दुनिया से हज़ार जाम पिला,
मरने का नहीं मुझको खतरा जाम पिला,
जीने की दुआ तो बुजरगो से मिली,
ले वो भी मेरी तरह नजर मगर जाम पिला।
मुझे रिंद को बख्शी शराब ऐ साकी,
दुनिया में नहीं तेरा जवाब आए साकी,
हर कटरा मेरे हक में करम की बारिश,
अब जाम का तू कर ले हिसाब आए साकी।
रिंद = शराबी करम = कृपा
रात भी है शराबी, मौसम भी है गुलाबी ।
तू नज़रों से जाम पी ले, मेरी आँखे भी है शराबी
हिंदी दिल की किताब का पन्ना चुरा ले गया कोई,
नींद आंखों से उड़ा ले गया कोई,
पीने की आदत नहीं थी हमें,
जाम निगाहों से पिला गया कोई।
जाम करवा एच मगर इतना भी नहीं कि पिया ना जाए,
जिंदगी में दर्द एच मगर इतना भी नहीं कि जिया ना जाए।
मन एसएमएस पर चार्ज एच मगर इतना भी नहीं कि किया ना जाए।
यूही खाना खराब रहने दे साकी, जाम में आफताब रहने दे साकी,
गम से घबरा गया हो मैं साकी, मुझे घरके शराब रहने दे साकी।
घूम इस कादर मिला के घबरा के पी गए,
खुशी थोड़ी मिली तो मिला कर पी गए,
यू तो ना द हम पीने के आदी,
शराब को तन्हा देखा तो तारास खा के पी गए।
शराबी इल्ज़ाम शारब को देता है,
आशिक भी इल्ज़ाम शबाब को देता है,
कोई नहीं करता, कबूल अपनी भूल,
कांटा भी इल्ज़ाम गुलाब को देता है।
दुसरे देशों में लोग कह्ते है घर जाओ तुमने पि रखी है
हमारे देशों में कह्ते है अब घर मत जा तुमने पि रखी है
कभी देखेंगे ऐ जाम तुझे होठों से लगाकर,
तू मुझमें उतरता है कि मैं तुझमें उतरता हूँ
पीने पिलाने की क्या बात करते हो,
कभी हम भी पिया करते थे,
जितनी तुम जाम में लिए बैठे हो,
उतनी हम पैमाने में छोड़ दिया करते थे।
हर बात का कोई जवाब नहीं होता,
हर इश्क का नाम खराब नहीं होता,
यूह तो जूम लेते हैं नशे में पाइन वाले,
मगर हर नशे का नाम शराब नहीं होता।
पीते वे शरब हम,
उसकी चुदादी अपनी कसम देकर,
महफ़िल में गए हम,
यारून ने पिलादी उसकी कसम देकर।
पी है शराब हर गली की दुकान से ,
सी फ्रेंड हो जाती है शराब के नाम से ,
गुजरे है हम कुछ ऐसे मुकाम से ,
की आंखे भर आती है मोहब्बत के नाम से !!
आज जी भर के पी लेने दे,
सारे गम को भूल जाने दे,
जब तक में होश ना खो दूँ,
तू आज मुझे पी लेने दे।
इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ,
सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ,
जो लोग करते हैं मुझे गिराने की कोशिश,
मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ।
दूसरों के लिए ख़राब ही सही,
हमारे लिए तो ज़िन्दगी बन जाती है,
सौ ग़मों को निचोड़ने के बाद ही,
एक कतरा शराब बन जाती है।
नशा हम करते हैं,
इलज़ाम शराब को दिया जाता है,
मगर इल्ज़ाम शराब का नहीं उनका है,
जिनका चेहरा हमें हर जाम में नज़र आता है…
40+ 2 Line Shayari For Sharabi And Quotes !
पूरा अब मेरा ये ख़्वाब हो जाये,
लिख दू उनके दिल पे किताब हो जाये
ना मयकदे की जरूरत हो ना मयखाने की,
अगर नज़र से पिला दो शराब हो जाये।
मयख़ाना-ए-हस्ती का जब दौर ख़राब आया,
कुल्लड़ में शराब आई, पत्ते पर कबाब आया
हमें गुमशुदा कर दिया तेरे इन ख़्यालों ने,
लोग सवाल करते हैं हमसे,, अभी भी नशे में है क्या
दारू पर शायरी
तेरी आँखों के ये जो प्याले हैं,
मेरी अंधेरी रातों के उजाले हैं,
पीता हूँ जाम पर जाम तेरे नाम का,
हम तो शराबी बे-शराब वाले हैं।
मदहोश हम हरदम रहा करते हैं,
और इल्ज़ाम शराब को दिया करते हैं,
कसूर शराब का नहीं उनका है यारों,
जिनका चेहरा हम हर जाम में
तलाश किया करते हैं।
नतीजा बेवजह महफिल से उठवाने का क्या होगा,
न होंगे हम तो साकी तेरे मैखाने का क्या होगा।
मदहोश कर देता है तेरे ये देखने का अंदाज़
और लोग सोचते हैं कि हम पीते बहुत है
पहले तुझ से प्यार करते थे
अब शराब से प्यार करते हैं
इश्क के नाम पे लोग यहाँ खून पीते है,
मुझे नाज़ है खुद पर की मैं सिर्फ शराब पीता हु।
‘तू’ डालता जा साकी शराब मेरे प्यालो में,
जब तक ‘वो’ न निकले मेरे ख्यालों से।
नशा पीला के गिराना तो सबको आता है,
मजा तो तब है की गिरते को थाम ले साकी।
ढल गया आफताब ऐ साकी,
ला पिला दे शराब ऐ साकी,
मैकदा छोड़कर कहां जाऊं है ख़राब जमाना ऐ साकी।
जाहिद शराब पीने से काफिर हुआ मैं क्यों,
क्यों डेढ चुल्लू पानी में ईमान बह गया
नशा सिर्फ में प्यार में देखा है
तेरे जाने के बाद सब पानी होते देखा है।
कुछ नशा तो आपकी बात का है
कुछ नशा तो धीमी बरसात का है
हमें आप यूँ ही शराबी ना कहिये
इस दिल पर असर तो आप से मुलाकात का है।
जाम तो यू ही बदनाम है यारों कभी इश्क करके देखो,
या तो पीना भूल जाओगे या फिर पी-पी के जीना भूल जाओगे।
शराब शरीर को खत्म करती है,
शराब समाज को ख़तम करती है,
फिर इश्क़ का जूनून चढ़ रहा है सिर पे
मयख़ाने से कह दो दरवाज़ा खुला रखे
तुम होंश में रहकर हमें नहीं पहचानती
एक मैं हूं जो शराब के नशे में तेरा नाम लेता रहता हूं
पिला दो घुट शराब तुम अपनी नशीली आँखों से,
हमें नशे में बहकने दो अपनी बाहों में।
जाम पीने का मज़ा जिंदगी जीने से जादा हैं
अगर इसे न पिया तो जिंदगी जीने का मज़ा क्या हैं।
तेरी उन यादों में हर रोज मै एक ओर
चढ़ा देता हू अब बस कर मुझे यू शताना तू।
बात सज़दों की नहीं नीयत की है
मयखाने में हर कोई शराब ी नहीं होता
मजा तो तब ही आये पीने का यारो,
शराब हम पियें और नशा उनको हो जाए।
आओ आज इस शराब को खत्म करते हैं,
एक बॉटल तुम खत्म करो, एक बॉटल हम खत्म करते है।
मैयखाने मे आऊंगा मगर पिऊंगा नही साकी
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात नही रखती।
पीना चाहते थे हम सिर्फ एक जाम,
मगर पीते-पीते शाम से सवेर हो गयी,
बहके बहके कदम धीरे धीरे चले,
इसलिए आने में ज़रा सी देर हो गयी।
जिंदगी का साथ निभाता रहा हु मैं,
प्यार का गीत गुनगुनाता रहा हु मैं,
ना जाने कब आ जाये मौत का पैगाम,
यही सोचकर हर जाम उठाता रहा हूं मैं।
लोग कहते हैं पिये बैठा हूँ मैं,
खुद को मदहोश किये बैठा हूँ मैं,
जान बाकी है वो भी ले लीजिये,
दिल तो पहले ही दिये बैठा हूँ मैं….
आती हैं जब भी हिचकियाँ अब,
शराब मैं पी लेता हूँ,
अब तो वो वहम भी छोड़ दिया है,
कि कोई मुझे भी याद करता है।
अब के सावन में सबका हिसाब कर दूंगा
जिसका जो वाकी है वो भी हिसाब कर दूंगा।
कुछ तो शराफत सीख ले इश्क शराब से,
बोतल पे लिखा तो मैं जानलेवा हूँ।
शराब और मेरा कई बार ब्रेकअप हो चुका है
पर कमबख्त हर बार मुझे मना लेती है।
के आज तो शराब ने भी अपना रंग दिखा दिया,
दो दुश्मनो को गले से लगवा, दोस्त बनवा दिया
तुम्हें जो सोंचे तो होता है कैफ सा तारी,
तुम्हारा जिक्र भी जामे शराब जेसा है।
हे ये शराब दर्द की दवा मेरे,
इसे पिने में कोई खराबी नहीं,
होता है जब दिल में दर्द तो पी लेता हूँ,
वैसे हूँ में शराबी नहीं।
एक जाम उल्फत के नाम एक जाम मोहब्बत के नाम
एक जाम वफ़ा के नाम
पूरी बोतल बेवफा के नाम और पूरा ठेका दोस्तों के नाम।
जाम पीकर अपने गम को कहाँ कम किया हमने
हर वक़्त तेरी यादो में इन आँखों को नम किया हमने
चाहा था तुझे बुलाना पर याद ही किया हमने
और जिंदगीके बाद भी कब्र से हाथ निकाल कर
तेरा ही इंतजार किया हमने।
प्यार के नाम पे यहाँ तो लोग खून पीते है,
मुझे खुद पे नाज़ है की मैं सिर्फ शराब पीता हु।
मयखाने से बढ़कर कोई जमीन नहीं
जहां सिर्फ कदम लड़खड़ाते है जमीर नहीं