90+ श्री गुरु नानक देव जी (Shri Guru Nanak Dev Ji) के अनमोल वचन (Anmol Vachan)
श्री गुरु नानक जी (Shri Guru Nanak Dev Ji) सिख धर्म के सबसे पहले गुरु थे वह हमेशा मानव जीवन को परोपकार और मिलजुल कर प्यार से रहने का उपदेश दिए थे श्री गुरु नानक जी के उपदेशों और प्रवचन में सेवा का भाव तथा मानव जीवन के एक साथ रहने का सिखाते थे | श्री गुरु नानक जी का जन्म 15 अप्रैल 1470 को हुआ | श्री गुरु नानक देव जी बचपन से आध्यत्मिक प्रवृति के थे । वह सिखो के पहले गुरु थे। ये बचपन से ही आघ्यत्मिक प्रवृति के थे और ईश्वर भक्ति के लिप्त रहते थे। ये बचपन से ही अदभुत प्रतिभा सम्पन थे। श्री गुरु नानक जी का विचार मानव जीवन को सही रास्ते पर चलाना था | श्री गुरु नानक जी ने अपने पूरे जीवन को मानव सेवा तथा सन्मार्ग के रास्ते पर चलकर लोगों को मुक्ति का रास्ता बताया | हमारी वेबसाइट पर श्री गुरु नानक देव जी के अनमोल वचन आसान भाषा में उपलब्ध है |
कोई उसे तर्क द्वारा नहीं समझ सकता,
भले वो युगों तक तर्क करता रहे.
बंधुओं ! हम मौत को बुरा नहीं कहते,
यदि हम जानते कि वास्तव में मरा कैसे जाता है.
प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ,
प्रभु के नाम की सेवा करो, और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ.
ना मैं एक बच्चा हूँ , ना एक नवयुवक,
ना ही मैं पौराणिक हूँ, ना ही किसी जाति का हूँ.
भगवान एक है । सदा एक ही भगवान की उपासना करो ।
जब आप किसी की मदद करते है
तो वाहेगुरु आपकी मदद करता है.
व्यक्ति अपना जीवन
सोने और खाने में गवां देता है
और उसका महत्वपूर्ण
जीवन बर्बाद हो जाता है.
केवल वही बोलें,
जो आपको मान-सम्मान दिलाए।
यदि तू अपने दिमाग को शांत रख सकता है,
तो तू विश्व पर विजयी होगा।
जो इंसान कड़ी-मेहनत करके कमाता है,
और अपनी मेहनत की कमाई में से थोड़ासा भी दान करता है
वह सत्य मार्ग ढूंढ लेता है।
अपनी कमाई का 10वां हिस्सा परोपकार के लिए
और अपने समय का 10वां हिस्सा प्रभु भक्ति में लगाना चाहिए।
जिस व्यक्ति को खुद पर विश्वास नहीं है
वो कभी भी ईश्वर पर पूर्ण-रूप से विश्वास नहीं कर सकता
मेहनत और ईमानदारी से काम करके उसमे
से जरूरतमन्द को भी कुछ देना चाहिए
अंहकारी इंसान एक अंधे के समान है
जिसे न तो अपनी गलती दिखाई देती है
न दुसरो की अच्छाई नानक देव जी
जब भी किसी को मदद की आवश्यकता पड़े,
हमे कभी भी पीछे नही हटना चाहिए
शांति से अपने ही घर में ध्यान करें,
तब आपको मृत्यु का दूत छू भी नहीं पायेगा
मेरा जन्म नहीं हुआ है,
भला मेरा जन्म या मृत्यु कैसे हो सकती है|
ईश्वर के लिये हर्ष के गीत गाओ, प्रभु के नाम से
सेवा करो और उनके सेवको के सेवक हो जाओ ।
में ना तो एक बालक हूँ नाही एक जवान मनुश्य हूँ ओर नाही किसी प्राचीन जाति का हूं ।
तेरी एक हजार आंखे है मगर एक भी आंख नही तेरे
हजारो रुप होने के बाबजूद भी अभी तक एक रुप भी नही ।
विशाल धन ओर प्रभुत्व से सम्मन राजाओ ओर बादशाओ की बराबरी भी उस
चीटी से नही की सकती जिसमें प्रभु का प्रेम भरा हो ।
ऊपर वाले की प्रतिभा से सारा कुछ प्रकाशमान है।
जब मेरा जन्म ही हुआ है तो मेरा जन्म और मृत्यु कैस हो सकता है ।
संसार में किसी भी व्यक्ति को धोखे में नही रहना चाहिये। क्योकि बगैर गुरु के
कोई भी किसी भी किनारे के दूसरे छोर तक नही जा सकता है ।
ईश्वर एक है परन्तु उसके अंसख्य रुप है वह सभी के निर्माता है वह स्वयं मानव स्वरुप लेते है ।
कोई तुम्हे युक्ति से नही समझ सकता है यहां तक की चाहे वह पुरी उम्र भर युक्ति करता रहे ।
किसी ने पूछा तेरा घरवार कितना है किसी ने पूछा तेरा कारोवार कितना है
किसी ने पूछा तेरा परिवार कितना है कोई विरला ही पूछ डा हैं तेरा गुरु नाल प्यार कितना है ।
भगवान प्रत्येक जगह और प्राणी के अन्दर मौजूद है ।
ईश्वर की भक्ति करने वाले कसी से नही डरते ।
भगवान एक है, लेकिन उसके कई रूप हैं.
वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है….
दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए.
बिना गुरु के कोई भी दुसरे किनारे तक नहीं जा सकता है…
प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ,
प्रभु के नाम की सेवा करो, और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ…
सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो….
सिर्फ और सिर्फ वोही कहे जो शब्द आपको सम्मानित करते है
कभी भी किसी भी हालातों मे किसी का अधिकार नहीं छिनना चाहिए
मै जन्मा नही हू, मेरे लिए कोई भी कैसे मर सकता है या जन्म ले सकता है
ईश्वर के लिए भजन कीर्तन करो, ईश्वर की सेवा करो और
उनके सेवक बन जाओ, मानसिक शान्ति का यह एकमात्र जरिया है.
दूब की तरह छोटे बनकर रहो !
जब घास-पात जल जाते है तब भी दूब जस की तस रहती है.
ये संसार एक रंगमंच है जिसे सपनो में प्रस्तुत करना होता है।
भगवान् सब जगह और प्राणी मात्र मे मौजूद है.
ससार को जीतने के लिए अपने कमियो और विकारो पर विजय पाना भी जरुरी है.
कोई भी राजा कितना भी धन से भरा क्यू न हो लेकिन उनकी तुलना उस चीटी से भी
नही की जा सकती है जिसमे रब का प्रेम भरा हुआ हो.
“आप चाहे किसी भी प्रकार के बीज बोये, लेकिन उसे उचित मौसम में ही तैयार करे,
यदि आप ध्यान से इन्हें देखोंगे तो पाएंगे की बीज के गुण ही उन्हें ऊपर लाते है.”
रस्सी की अज्ञानता के कारण रस्सी साप लगता है। खुद की अज्ञानता व भ्रम के कारण
क्षणिक स्थिति भी खुद का व्यक्तिगत, सीमित, अभूतपूर्व स्वरूप प्रतीत होती है।
अपने जीवन में कभी ये न सोचें कि यह नामुमकिन है।
कर्म भूमि पर फल के लिए श्रम सबको करना पड़ता है।
भगवान के दरबार में सभी कर्मों का लेखा-जोखा होता है।
बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
बंधुओं ! हम मौत को बुरा नहीं कहते,
यदि हम जानते कि वास्तव में मरा कैसे जाता है…
ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र में मौजूद है
श्री गुरु नानक देव
राजाओ की तुलना , उस एक चीटीं से
नही की जा सकती जिसका हृदय ईश्र्वर
भक्ति से भरा हुआ है
श्री गुरु नानक देव जी
ईश्वर को कोई तर्क द्वारा नही समझ सकता ,
भले वो युगो तक तर्क से जीतता रहे
श्री गुरु नानक देव जी
संसार को जीतने के लिए अपनी कमियो
और विकारो पर विजय पाना भी जरूरी है
ईश्वर की प्राप्ति गुरू द्वारा संभव है।
अच्छी बुद्धि से चित्त अच्छा हो जाता है।
ईश्वर की चमक से सब कुछ प्रकाशमान है।
दुनिया एक नाटक है, जो एक सपने मे मंचित है।
जो भी बीज बोया जाता है, उसी तरह का एक पौधा सामने आता है। जब आप
किसी की मदद करते हैं तो ईश्वर आपकी मदद करता है।
स्त्री जाति का आदर करना चाहिए। सभी स्त्री और पुरुष बराबर हैं।
गुरु की आवाज भगवान की आवाज है। वही ज्ञान और निर्वाण का सच्चा स्त्रोत है।
चिंता मुक्त रहकर अपने कर्म करते रहना चाहिए। संसार को जीतने से पहले स्वयं
अपने विकारों पर विजय पाना अत्यंत आवश्यक है।
अहंकार, ईर्ष्या, लालच, लोभ मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देते। ऐसे में इनसे दूर रहना चाहिए।
बुरा काम करने के विषय में न सोचे और न किसी को पीडा दे।
सदा खुश रहना चाहिये और भगवान से सदा स्वंय के लिये क्षमा मांगनी चाहियें ।
परिश्रम और ईमानदारी की कमाई में से जरुरतमंद लोगो को भी कुछ जरुर देना चहिये ।
बुरा कार्य करने के बारे मे न सोचे
और न किसी को सताएं
ईश्वर सर्वत्र विद्धमान है , हम सबका पिता है ,
इसलिए हम सबको मिल-जुलकर प्रेम पूर्वक रहना चाहिए
ये दुनिया दुखों का सागर है
वह जिसे खुद पर भरोसा है
वही विजेता कहलाता है
भले ही उसे विभिन्न नामो से पुकारते है ,
पर वास्तव मे ईश्वर एक है
भगवान एक है , लेकिन उसके कई रूप है
वो सभी का निर्माणकर्ता है
और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है
दुनिया मे किसी भी व्यक्ति को भम्र मे नही रखना चाहिए ,
बिना गुरू के कोई भी ईश्वर को पा नहीं सकता है
श्री गुरु नानक देव जी
ना मैं एक बच्चा हूँ , ना एक नवयुवक,
ना ही मैं पौराणिक हूँ, ना ही किसी जाति का हूँ…
ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र में मौजूद है…
तेरी हजारों आँखें हैं और फिर भी एक आंख भी नहीं,
तेरे हज़ारों रूप हैं फिर भी एक रूप भी नहीं….
धन-समृद्धि से युक्त बड़े बड़े राज्यों के राजा-महाराजों
की तुलना भी उस चींटी से नहीं की जा सकती है
जिसमे ईश्वर का प्रेम भरा हो….
मेरा जन्म नहीं हुआ है,भला मेरा जन्म या मृत्यु कैसे हो सकती है…
निष्कपटता और मेहनत करके आय करनी चाहिये ।
ईश्वर एक है और हर जगह मौजूद है। सदैव एक ही
ईश्वर की उपासना करो। ईश्वर सब में व्यापक है।
सबका पिता वही है इसलिए सभी से प्रेम करना चाहिए।
मेहनत कर, लोभ को त्याग कर और न्यायोजित साधनों से धन कमाना चाहिए।
मेहनत और सच्चाई से गरीबों और जरुरतमंदों की मदद करनी चाहिए।
कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए।
अगर किसी को धन या कोई अन्य मदद की
आवश्यकता हो तो हमें कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए।
अपनी कमाई का 10वां हिस्सा परोपरकार के लिए और अपने समय का
10वां हिस्सा प्रभु सिमरन या ईश्वर भक्ति में लगाना चाहिए।
धन को जेब में स्थान देना चाहिए, दिल में नहीं।
ईश्वर सभी जगह और हर प्राणी मात्र में मौजूद है।
कोई भी ईश्वर की सीमाओं और हदों को नहीं जान पाया है।
सिर्फ वही शब्द बोलने चाहिए जो शब्द हमें सम्मान दिलाते हैं।
न कोई हिन्दू है न मुसलमान है, सभी मनुष्य हैं, सभी समान हैं।
जिन्होंने प्रेम किया है। वे वही हैं जिन्होंने परमात्मा को पाया है।
प्रत्येक स़्त्री ओर पुरुष बराबर है ।
भोजन शरीर को जीवित रखने के लिये आवश्यक है परन्तु लोभ लालच और संग्रहवृत्ति बुरा काम है ।
तेरी हजारों आँखें हैं और फिर भी एक आंख भी नहीं ; तेरे हज़ारों रूप हैं फिर भी एक रूप भी नहीं.
धन-समृद्धि से युक्त बड़े बड़े राज्यों के राजा-महाराजों की तुलना
भी उस चींटी से नहीं की जा सकती है जिसमे में ईश्वर का प्रेम भरा हो