एक बार एक गरीब लड़का था जो घर-घर जाकर अखबार बेचकर स्कूल का खर्चा उठाता था। एक दिन, जब वह अपने मार्ग पर चल रहा था, तो वह उदास और कमजोर महसूस करने लगा। गरीब लड़का भूख से मर रहा था, इसलिए उसने अगले दरवाजे पर आने पर खाना मांगने का फैसला किया।
गरीब लड़के ने खाना मांगा लेकिन हर बार मना कर दिया गया, जब तक कि वह एक लड़की के दरवाजे पर नहीं पहुंच गया। उसने एक गिलास पानी मांगा, लेकिन उसकी दयनीय स्थिति को देखकर लड़की एक गिलास दूध लेकर वापस आ गई। लड़के ने पूछा कि उसे दूध का कितना देना है, लेकिन लड़की ने पैसे लेने से इनकार कर दिया।
वर्षों बाद, वह लड़की, जो अब बड़ी हो चुकी थी, बीमार पड़ गई। वह बहुत से डॉक्टर के पास गई, लेकिन कोई भी उसे ठीक नहीं कर पाया। अंत में, वह शहर के सबसे अच्छे डॉक्टर के पास गई जिस की फीस बहुत अधिक थी।
डॉक्टर ने महीनों तक उसका इलाज किया जब तक कि वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो गई। ठीक होने की खुशी के बावजूद, वह डरती थी क्योंकि वह बिल का भुगतान नहीं कर सकती थी। लेकिन, जब अस्पताल ने उन्हें बिल सौंपा, तो उसमें लिखा था, ‘एक गिलास दूध के साथ पूरा भुगतान कर दिया गया है।’ क्योंकि यह डॉक्टर वही लड़का था जिसे बचपन में गरीबी से गुजारना पड़ा था और जिसे लड़की ने एक गिलास दूध पिला कर उसकी मदद की थी जिसका एहसान आज वह लड़का चुका रहा था।
कहानी की निष्कर्ष: कोई भी अच्छा कर्म बिना फल के नहीं जाता।