एक जंगल में एक सियार रहता था। वृद्धावस्था के कारण अब वह पहले की तरह शिकार नहीं कर पाता था। उसके पीछे कुछ कुत्ते थे। सियार को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा और कपड़े रंगने वालों की गली में घुस गया। वहां उसे एक बड़ा बर्तन दिखाई दिया और वह जान बचाने के लिए बर्तन में कूद गया। बर्तन में कपड़े रंगने के लिए नीले रंग का घोल रखा था।
जब वह उसमें से बाहर आया तो उसने देखा कि उसके शरीर का सारा रंग नीला पड़ गया है। कोई भी जानवर जो इसका नीला रंग देख लेता, डर जाता और इससे दूर भाग जाता।
उसने स्थिति का लाभ उठाते हुए स्वयं को पशु जगत का शासक घोषित कर दिया। उसकी बातें सुनकर शेर, बाघ और चीते हैरान रह गए। किसी ने उसे काटने की हिम्मत नहीं की।
कुछ दिनों तक तो उसका राज्य बड़े सुचारू रूप से चलता रहा, लेकिन फिर एक दिन जब वह अपनी गुफा में विश्राम कर रहा था, तो उसे बाहर अन्य सियारों की आवाज सुनाई दी। बिना कुछ सोचे-समझे वह भी सियारों की तरह अपने मूल स्वर में गुर्राने लगा। शेर और बाघ ने महसूस किया कि सियार ने उन्हें मूर्ख बनाया है और उन्होंने उसे मार डाला।
कहानी का निष्कर्ष: कोई भी दिखावा ज्यादा देर तक नहीं चल सकता, इसलिए बेहतर है कि आप हमेशा अपने असली रूप में रहें और खुद में सुधार करें।