मेहनती चींटी और आवारा टिड्डा की कहानी

एक गर्मी के दिन एक टिड्डा एक मैदान में इधर-उधर कूद रहा था, चहक रहा था और अपने दिल की बात गा रहा था। एक चींटी मक्के के दाने को बड़ी मुश्किल से अपने घोंसले में घसीटती हुई चली गई।

“अपना जीवन बर्बाद करने के बजाय, तुम क्यों नहीं आते और मेरे साथ बातचीत करते हो?” टिड्डा ने चींटी को सुझाव दिया।

“मैं सर्दियों के लिए भोजन के भंडारण में मदद कर रहा हूं, और मेरा सुझाव है कि आप भी ऐसा ही करें।” चींटी यह कह कर चली गयी।

टिड्डा ने पूछा, “सर्दी की परवाह क्यों? इस वक्त हमारे पास काफी खाना है।”

दूसरी ओर, चींटी ने अपना संघर्ष फिर से शुरू कर दिया।
जब सर्दियाँ आईं, टिड्डा भूख से मर गया क्योंकि उसने खाने के लिए कुछ भी इकट्ठा नहीं किया था, जबकि चींटियों ने गर्मियों के दौरान जमा किए गए स्टॉक से मक्का और अनाज को सर्दियों के दौरान उपयोग किया और अपने अन्य साथियों को भी वितरित  किया। जिसके कारण चींटी कड़ाके की सर्दी को भी आसानी से झेल सका और बचा रहा।

शिक्षा : प्रत्येक संघर्ष और कड़ी मेहनत का एक फलदायी परिणाम होता है