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चंद्रयान 3 मिशन क्या है ? रॉकेट वुमन ऋतु करिधाल कौन है ? चंद्रयान 3 मिशन से भारत को भविष्य में क्या-क्या फायदे होंगे ? चंद्रयान 3 मिशन पर कुल कितनी लागत लग रही है ? चंद्रयान 3 मिशन कब तक पूरा हो जाएगा ? संपूर्ण जानकारी

चंद्रयान 3 मिशन क्या है ?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित चंद्रयान-3 में एक लैंडर, प्रोपल्शन मॉड्यूल और रोवर शामिल है। इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित रूप से उतरना, डेटा एकत्र करना और चंद्रमा की संरचना के बारे में अधिक जानने के लिए वैज्ञानिक प्रयोगों की एक श्रृंखला आयोजित करना है। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर सटीक लैंडिंग हासिल करने में भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला मिशन बन जाएगा।

इसरो के शुरुआती दो अभियानों के बाद यह तीसरा प्रयास है जिसे चंद्रयान-2 के फ़ॉलोअप मिशन के रूप में देखा जा रहा है चार साल पहले, यानी साल 2019 में भारत चंद्रायन 2 की सफल लांचिंग की तैयारी कर रहा था, लेकिन आख़िरी मौक़े पर मिशन फेल हो गया। अब इस घटना के चार साल बाद एक बार फिर भारत Chandrayaan -3 की लांचिंग करने जा रहा है। ये मिशन अहम क्यों है, पिछली नाकामी के बाद इसके कामयाब होने की संभावनाएं कितनी और क्यों हैं, और कामयाब होने पर क्या हासिल होगा यह फ़िलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद यानी इसरो ने घोषणा की है कि वो 14 जुलाई की दोपहर 2:35 बजे चांद पर चंद्रयान-3 भेजेगा। तीसरे मून मिशन को इसरो एलवीएम-3 रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजेगा। लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से होगी। यह भारत का तीसरा चंद्र मिशन है। दूसरी बार भारत यह प्रयास करेगा कि वह चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करा सके। साथ ही रोवर को चंद्रमा की सतह पर चला सके।

रॉकेट वुमन ऋतु करिधाल कौन है (Rocket Woman Ritu Karidhal) ?

ऋतु करिधाल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ काम करने वाली एक भारतीय वैज्ञानिक हैं। वह भारत के मंगल कक्षीय मिशन, मंगलयान के उप-संचालन निदेशक थीं। उन्हें भारत की “रॉकेट वुमन” के रूप में जाना जाता है। वह लखनऊ में पैदा हुई थी और एक एयरोस्पेस इंजीनियर थी। उसने पहले भी कई अन्य इसरो प्रोजेक्ट्स के लिए काम किया है और इनमें से कुछ के लिए ऑपरेशन डायरेक्टर के रूप में काम किया है।

ऋतु करिधाल इस वक्त चंद्रयान-3 की मिशन डायरेक्टर हैं और जानकारी के मुताबिक चंद्रमा पर लैंडिंग की ज़िम्मेदारी उन्हें ही सौंपी गई है। इसके पहले भी डॉ. ऋतु कई महत्त्वपूर्ण ज़िम्मेदारियां निभा चुकी हैं। मंगलयान मिशन के दौरान उन्हें डिप्टी डायरेक्टर थीं जबकि चंद्रयान-2 के लॉन्च के वक्त भी वह मिशन डायरेक्टर थी।

ऋतु करिधाल को यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड, इसरो टीम अवॉर्ड मिल चुके हैं. इसके अलावा उन्हें एएसआई अवॉर्ड, सोसायटी ऑफ इंडिया एयरोस्पेस टेक्नॉलजी एंड इंडस्ट्रीज़ एयरोस्पेस वूमन अवॉर्ड दिया जा चुका है।

चंद्रयान 3 मिशन से भारत को भविष्य में क्या-क्या फायदे (Benefit) होंगे ?

चंद्रयान 3 मिशन से भारत को निम्नलिखित फायदे होंगे-

चंद्रयान-3 द्वारा जुटाया गया डेटा भविष्य के आर्टेमिस मिशनों के लिए मूल्यवान जानकारी और समर्थन प्रदान करेगा।

० अंतरिक्ष यात्रा की महत्वाकांक्षाओं में प्रगति:चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग भारत की तकनीकी कौशल और अंतरिक्ष अन्वेषण की महत्वाकांक्षी खोज को प्रदर्शित करेगी।

० चंद्रयान-3 मिशन में कुछ चंद देश ही कामयाब रहे हैं, इसलिए चंद्रयान-3 की सफलता से भारत की टेक्नोलॉजिकल पावर भी दुनिया के सामने आएगी। कुल मिलाकर, मून के सैंपल का परीक्षण करने वाला यह अपनी तरह का पहला मिशन होगा।

० चंद्रमा, पृथ्वी और ब्रह्मांड की बेहतर समझ के लिए ये खोज जरूरी है। अगर ये परीक्षण सफल हो जाता है तो भारत को दुनिया के सामने अपनी क्षमता दिखाने का मंच मिल जाएगा । रॉकेट लॉन्च, अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी, स्किल्ड मैनपावर की दिशा में बेहतरीन काम किए जा सकेंगे। दुनिया को यह दिखाने के लिए भी यह मिशन जरूरी है कि हम बिना किसी विदेशी सहयोग के अकल्पनीय मुकाम हासिल करने में कारगर हैं। भारत चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।

चंद्रयान 3 मिशन पर कुल कितनी लागत लग रही है (Total cost of Chandrayaan 3 mission)?

इसरो ने चंद्रयान-3 के शुरुआती बजट के लिए 600 करोड़ रुपए की उम्मीद लगाई थी जबकि ISRO के मुताबिक, चंद्रयान-3 को तैयार करने में करीब 615 करोड़ रुपये लगे हैं। अगर गणना करें तो चंद्रयान 3 मिशन पर प्रति किलोमीटर का खर्च मात्र 16000 रुपये हैं। ये रकम रूस, अमेरिका और चीन के लैंडर मिशन से काफी कम है। यानी बहुत ही सीमित बजट में हमारे वैज्ञानिकों ने इसे तैयार किया।

चंद्रयान 3 मिशन कब तक पूरा हो जाएगा ?

14 जुलाई 2023 की लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर 45 से 50 दिन के अंदर जब सॉफ्ट लैंडिंग करेंगे। इस दौरान 10 चरणों में मिशन को पूरा किया जाएगा। चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर पहुंचने की संभावित तिथि 23 अगस्त है। इस बार मून मिशन के साथ ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है. केवल लैंडर और रोवर ही इसमें होंगे।
पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 3.84 लाख किलोमीटर है। इस मिशन का पहला टारगेट चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग है। ये मिशन का सबसे जटिल हिस्सा भी है। दूसरा टारगेट रोवर का चंद्रमा की सतह पर चहलकदमी करना और तीसरा लक्ष्य रोवर से जुटाई जानकारी के आधार पर चंद्रमा के रहस्यों से परदा उठाना है।

FAQ

Q) चंद्रयान-3 मिशन कब लांच किया गया ?

चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 पर लांच किया गया ।

Q) इसरो के वर्तमान अध्यक्ष कौन है?

इसरो के वर्तमान अध्यक्ष S सोमनाथ है।

Q) चंद्रयान-3 की मिशन की डायरेक्टर कौन है?

ऋतु करिधाल इस वक्त चंद्रयान-3 की मिशन डायरेक्टर हैं।

Q) चंद्रयान-3 में कौन-कौन जाएगा ?

चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं होगा, सिर्फ लैंडर और रोवर ही जाएगा।

Q) चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान का वजन कितना है ?

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान का वजन लगभग 3,900 किलोग्राम है।

Q) चंद्रयान-3 मिशन की स्पीड कितनी है?

चंद्रयान-3 रॉकेट की स्पीड 6,437 किलोमीटर प्रति घंटा हैं।

Q) पृथ्वी से चांद की दूरी कितनी हैं?

पृथ्वी से चांद की दूरी 3 लाख 84 हजार 403 किमी है।
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